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गंडक नहर में फिर से पानी अाना शुरू हो गया है

भारत- नेपाल  सीमा संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट

काठमाण्डौ,नेपाल – पिछले सप्ताह भारी बारिश के कारण गंडक नहर में पानी देना बंद कर चुकी भारतीय सीमा ने शुक्रवार से फिर नहर में पानी दे दिया है ।

पिछले सप्ताह नारायणी नदी का जलस्तर बढ़ने और गंडक बराज के सभी गेट खोले जाने के बाद लगभग एक सप्ताह तक नहर में पानी नहीं आया था ।

नारायणी सिंचाई प्रबंधन कार्यालय बीरगंज के सूचना पदाधिकारी व अभियंता सुरेश कुमार साह ने बताया कि शुक्रवार से नहर में पानी लौट आया है ।

साह ने कहा, ”जब नारायणी नदी का जल स्तर बहुत अधिक बढ़ गया और नवलपरासी के भैसालोटन में नेपाल-भारत सीमा पर बने बैराज के सभी गेट खोल दिए गए, तो नहर में पानी आना बंद हो गया था.” ।

नहर में पानी आने और नहर के मिट्टी से भर जाने की संभावना है, इसलिए नदी में जल स्तर बढ़ने के बाद नहर में पानी नहीं छोड़ा जाता है।”

बैराज के सभी गेट खुलने से नहर की ओर पानी का बहाव भी स्वत: बंद हो जाता है।

नदी में पानी का बहाव अधिक होने के बाद नहर में आसमानी पानी आ जाने से नहर फूटने की आशंका भी बढ़ जाती है ।

शाह ने कहा, फिलहाल नहर में 300 क्यूसेक पानी है और यह बढ़कर 450 क्यूसेक हो जाएगा। उन्होंने कहा, “अब हमारे पास नहर में 400 से 450 क्यूसेक पानी है।”

गंडक बराज से दोन, त्रिवेणी और तिरहुत नाम की 3 नहरें निकली हैं। दोन नहर भारत में 92 किमी की यात्रा करती है और परसा के जगरनाथपुर ग्रामीण नगर पालिका में जानकीटोला से नेपाल में प्रवेश करती है।

नेपाल में प्रवेश करने के बाद इस नहर को पूर्वी नहर के नाम से जाना जाता है। इस साल भारत की ओर से 28 जून को नहर में पानी दिया गया था ।

प्रतिवर्ष धान की फसल के लिए 29 जून से तथा गेहूं की फसल के लिए 26 दिसंबर से नहर में पानी दिया जाता है।

समझौते के मुताबिक नहर में 850 क्यूसेक पानी भारत की ओर से दिया जाना चाहिए ।

परसा, बारा और रौतहट जिला में 15 ब्लॉकों में बंटी गंडक नहर की लंबाई नेपाल की ओर 81 किमी है ।

1975 और 1976 में भारत सरकार ने गंडक नहर को नेपाल सरकार को सौंप दिया।

हालांकि गंडक नहर से तीन जिलों परसा, बारा और रौतहट की 37 हजार 400 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई करने का लक्ष्य है, लेकिन अक्सर रौतहट जिला के मध्य भाग तक पानी नहीं पहुंच पाता है ।

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