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चैत्र रामनवमी को रहा  सनातन हिन्दु  नववर्ष  प्रतिपदा की शुरुआत

शिवानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट

अत्यधिक संख्या मे भक्जन करेगे अपने धर्माचरण  के पर्व पर व्रत उपासना

महराजगंज  माता रानी के नौ दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का पर्व चैत्र नवरात्र 30 मार्च को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी। इसबार सर्वार्थ सिद्धि योग में मां जगदंबे की आराधना होगी। इसबार माता का आगमन हाथी पर होगा।साथ ही माता प्रस्थान भी हाथी पर ही होगा

चैत्र नवरात्रि शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है। 30 मार्च से 7 अप्रैल तक मां जगदंबे की पूजा की जाएगी। 30 मार्च को घट स्थापित होगी और पहला व्रत रखा जाएगा। इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा होगी। 9 दिन माता के अलग-अलग स्वरूप की पूजा की जाएगी। इसे लेकर मंदिरों में तैयारी शुरू कर दी गई है। साफ-सफाई और रंग-रोगन का काम चल रहा है। वहीं, घरों में भी नवरात्रि की तैयारी शुरू है। साकची शीतला मंदिर, मनोकामना मंदिर सहित विभिन्न मंदिरों में चैत्र नवरात्र पर विधि-विधान से पूजा-अर्चना होगी।…

इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। यह साल किसानों यानी कृषि उत्पादों के लिए बेहतर होगा। माना जाता है कि जिस वर्ष माता का आगमन हाथी पर होता है, उस साल खूब वर्षा भी होती है।

नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है। अश्विन मास के इन नवरात्रों को ‘चैत्र नवरात्र’ कहा जाता है इस व्रत में नौ दिन तक भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पण्डित जी से करवाना चाहिए।

देवीभागवत में बताया गया है कि शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’ अर्थात- रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है, गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं, जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।

नवरात्र ही शक्ति पूजा का समय है इसलिए नवरात्र में ही नौ देवी शक्तियों की पूजा माता के कुछ भक्त श्री दुर्गाष्टमी तो कुछ महानवमी को भगवती दुर्गा देवी के 9 दिन चलने वाले यज्ञ में पूर्णाहुति देते हैं। साथ में दुर्गा देवी की ज्योत जल में विसर्जित करते हैं। व्रत का पारण भी इसी दिन किया जाता है। इस दिन नैवेद्य, चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्या तथा छोटे बच्चों को भोजन कराना चाहिए।

शक्ति की उपासना करने वालों के लिए भी यह नवरात्र शुभ

तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये नवरात्रों का समय अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जागृत करते हैं। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।

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