नेपाल-भारत सीमा संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट
काठमाण्डौ,नेपाल। आज सुबह उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ ही छठ पर्व संपन्न हो गया.
कल व्रतियों ने डूबते सूर्य को अर्घ दिया. इसके बाद उन्होंने पूरी रात जागकर आज उगते सूर्य को अर्घ दिया ।
छठ पर्व चार दिनों तक भक्तिभाव से मनाया जाता है ।
मान्यता है कि सूर्य की पूजा और छठी माता की आराधना से पारिवारिक सुख, शांति, समृद्धि, शारीरिक आरोग्यता, रोग मुक्ति और विभिन्न मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
इसी मान्यता के साथ छठ पर्व के मौके पर श्रद्धालु तालाबों, नदियों, पोखरों और जलाशयों में जुटते हैं और सूर्य को अर्घ्य देते हैं ।
इस त्योहार में बांस की ढाकी, डगरी, मिट्टी का कोसिया कुरबार, हाटी और अन्य सामग्रियां चढ़ाई जाती हैं ।
इसी तरह प्रसाद के रूप में ठेकुवा, भुसुवा, केला, गन्ना, हल्दी, अदरक और विभिन्न प्रकार की मिठाइयां और फल चढ़ाये जाते हैं ।
छठ पूजा सामग्री को प्रसाद के रूप में स्वीकार करने और वितरित करने की प्रथा है।
छठ पर्व, जो पहले केवल मिथिलांचल के साथ तराई मधेश के निवासियों द्वारा मनाया जाता था, हाल ही में पहाड़ों के निवासियों द्वारा भी मनाया जाने लगा है।
काठमाण्डौ घाटी में रहने वाले लोगों ने कमलपोखरी, गौरीघाट जैसी जगहों से छठ पूजा की है।
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