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Homeप्रदेशमातृ शिशु मृत्यु दर रोकने में पोषण की अहम भूमिका

मातृ शिशु मृत्यु दर रोकने में पोषण की अहम भूमिका

संवाददाता अंगद कुमार प्रजापति






चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर हुआ‘स्वच्छता पोषण संवाद’

गर्भवती और किशोरियों के हीमोग्लोबिन की हुई जांच, किशोरियों को दिये गये सैनेट्री पैड



गोरखपुर।पोषण माह के आखिरी दिन चरगांवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में ‘स्वच्छता पोषण संवाद’ का आयोजन सोमवार को किया गया । बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग और स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम में एनीमिया से बचाव में सही पोषण की भूमिका के बारे में विस्तार से चर्चा हुई। गर्भवती और किशोरियों के हीमोग्लोबिन की जांच की गई और प्रतिभागी किशोरियों के बीच सैनेट्री पैड व आयरन फोलिक की गोलियों का वितरण किया गया। सभी प्रतिभागियों को संदेश दिया गया कि मातृ शिशु मृत्यु दर को रोकने में पोषण की अहम भूमिका है।



कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए पीएचसी के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ धनंजय कुशवाहा ने कहा कि जिन गर्भवती में खून की कमी होती है, प्रसव के दौरान उनमें जटिलताएं बढ़ने की आशंका कहीं अधिक होती है। इस स्थिति से बचने के लिए किशोरावस्था से ही पौष्टिक खानपान, स्वच्छता व्यवहार और आयरन फोलिक की गोलियों का सेवन आवश्यक है। हरी पत्तेदार सब्जियां और गुड़ में पर्याप्त मात्रा में आयरन पाया जाता है। इनके सेवन के साथ साथ आयरन फोलिक की गोलियों का सेवन जरूरी है। समय समय पर स्वास्थ्य केंद्र पर या नजदीकी आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर खून की जांच भी बहुत जरूरी है। गर्भावस्था में महिला को अतिरिक्त पोषण की आवश्यकता होती है। इस दौरान आयरन फोलिक के साथ साथ दूसरी तिमाही से कैल्शियम की गोलियां भी खानी चाहिए। प्रसव के बाद भी छह माह तक इन दवाओं का सेवन आवश्यक है ताकि मां बच्चे दोनों को पोषण मिल सके।

चरगांवा ब्लॉक के स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी मनोज कुमार ने कहा कि फास्ट फूड खाने से बचना चाहिए और घर में बना शुद्ध पौष्टिक आहार पोषण का बड़ा स्रोत है। गर्भवती को प्रसव से पूर्व चार बार जांच की सुविधा अस्पताल से उपलब्ध कराई जाती है। इस दौरान खून की भी जांच होती है। जिन गर्भवती में खून की कमी होती है उनमें प्रसव के दौरान मां व बच्चे दोनों की जान को जोखिम होता है। उन्होंने कहा कि माहवारी के दौरान किशोरियों को सैनेट्री पैड का इस्तेमाल अवश्य करना चाहिए। इससे संक्रमण समेत कई प्रकार की बीमारियों से उनका बचाव होता है। स्कूलों के माध्यम से सरकार आरयन फोलिक की गोलियां और सैनेट्री पैड किशोरियों को उपलब्ध करवा रही है।

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की मुख्य सेविका मोहित सक्सेना ने बताया कि जिला कार्यक्रम अधिकारी डॉ अभिनव कुमार मिश्र और शहरी बाल विकास परियोजना अधिकारी महेंद्र चौधरी के दिशा निर्देशन में इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें करीब सत्तर किशोरियों और बीस गर्भवती ने हिस्सा लिया। सभी के खून की जांच की गई और जनजागरूकता के साथ साथ गर्भवती को आयरन फोलिक व कैल्शियम की, जबकि किशोरियों को आयरन फोलिक की गोलियां वितरित की गईं।

इन केंद्रों ने लिया हिस्सा

शहरी बाल विकास परिजोयना के तहत आने वाले आंगनबाड़ी केंद्र चरगांवा, करीमनगर, हमीदपुर, राप्तीनगर, जंगल महुआ, सेमरा और झुंगियां ने आयोजन में प्रतिभाग किया। इस दौरान सभी प्रतिभागी किशोरियों और गर्भवती के वजन एवं लंबाई की भी जांच की गई। जांच के दौरान जिन लोगों के पोषण स्तर में कमी पाई गई है, उनकी सतत निगरानी कर उन्हें सुपोषित बनाया जाएगा। जांच में एक किशोरी का हीमोग्लोबिन आठ पाया गया, जिसकी विशेष निगरानी की जाएगी।

इन्होंने किया सहयोग

बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग से किरन वर्मा, कन्यावती चौरसिया, शशी चौधरी, भामा देवी, विद्यावती, मधु श्रीवास्तव, शुभम श्रीवास्तव, बबिता वर्मा, सीमा यादव, सुनीता सिंह, अर्चना, ज्योतिमा, पूनम त्रिपाठी, सरोज देवी, स्वास्थ्य विभाग के प्रयोगशाला प्राविधिक एवं यूनिसेफ संस्था से चिरंजीव ने आयोजन में विशेष सहयोग प्रदान किया।

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