spot_img
Homeप्रदेशविचारों की खराद पर खरा सोना है दीनदयाल जी का चिंतन: प्रोफेसर...

विचारों की खराद पर खरा सोना है दीनदयाल जी का चिंतन: प्रोफेसर पूनम टंडन

विशेष संवाददाता अर्चना पाण्डेय की रिपोर्ट

• देश व दुनिया के लिए एक मशाल व मिसाल की तरह हैं दीनदयाल : प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी

• डॉ.शैलेश सिंह की पुस्तक ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय एवं एकात्म मानववाद’ का हुआ विमोचन

गोरखपुर ,विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ द्वारा दीनदयाल जी की 57वीं पुण्यतिथि के अवसर पर प्रमुख रूप से विचार-विमर्श एवं पुस्तक विमोचन का आयोजन हुआ. इस अवसर पर अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने कहा कि चिंतन की दुनिया में दीनदयाल उपाध्याय जी एक अनिवार्य शख्सियत हैं। भारत के निर्माण में उनकी अहम भूमिका है। विचारों की खराद पर खरा सोना है दीनदयाल जी का चिंतन।

उन्होंने कहा की आधुनिक चिंतन के केंद्र में ईश्वर की जगह मनुष्य की स्थापना होती है. आधुनिक काल में मनुष्य का सुख-दुख, आशा-निराशा, स्वप्न व आकांक्षा महत्वपूर्ण हो जाती है. ऐसे समय में दीनदयाल जी भारतीय नवजागरण के अग्रदूत के रूप में उभरते हैं. वह मील का पत्थर साबित होने वाली अंत्योदय की बात करते हैं. कतार में खड़े अंतिम मनुष्य अथवा हाशिए पर खड़े मनुष्य के उत्थान की चिंता उनका प्रमुख विमर्श बिंदु है।

आज पूरा विश्वविद्यालय परिवार, उसके विभिन्न संकाय एवं विभाग दीनदयाल जी पर केंद्रित कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं. उनका चिंतन देश व समाज को बुनियादी आधार एवं मार्गदर्शन प्रदान करने वाला है।

इस अवसर पर शोधपीठ के निदेशक प्रोफेसर हिमांशु चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि दीनदयाल जी का चिंतन देश व दुनिया के लिए एक ऐसे मशाल व मिसाल की तरह है, जिसके आलोक में बहुआयामी उन्नति व मनुष्यता का प्रशस्त पथ दृश्यमान होता है. मौजूदा समय में भारत की छवि एक ऐसे देश के रूप में मजबूत हुई है, जो जरूरतमंद एवं आपदा झेल रहे मुल्कों के साथ मजबूती से खड़ा होता है. खुलकर सहयोग करता है. भारत की इस भूमिका के पीछे दीनदयाल जी के चिंतन की स्पष्ट आभा है. संप्रति देश में हर जरूरतमंद व गरीब को घर, शिक्षा, स्वास्थ्य व चौतरफा महत्व प्रदान किए जाने के पीछे दीनदयाल जी की ही दृष्टि काम कर रही है।

इस अवसर पर विधि विभाग के सहायक आचार्य एवं दीनदयाल शोधपीठ के उपनिदेशक डॉ. शैलेश सिंह की पुस्तक ‘पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं एकात्मक दर्शन’ का विमोचन कुलपति जी की उपस्थिति में संपन्न हुआ. यह पुस्तक एक बड़ी अकादमिक जरूरत को पूरा करने की दृष्टि से आयी है. इसका प्रकाशन डिस्काउंट बुक स्टोर से हुआ है. कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन एवं निदेशक प्रो. हिमांशु चतुर्वेदी ने इस पुस्तक के विमोचन पर डॉक्टर शैलेश सिंह को बधाई दिया और कहा कि यह पुस्तक दीनदयाल जी के महत्वपूर्ण पहलुओं को स्पर्श करती है. दीनदयाल जी की पुण्यतिथि के अवसर पर उन्हें यह सच्ची श्रद्धांजलि है. दीनदयाल जी पर डॉ. शैलेश सिंह का चिंतन व लेखन सराहनीय है. यह विद्यार्थियों के लिए एक महत्वपूर्ण पुस्तक सिद्ध होगी. कार्यक्रम की शुरुआत दीनदयाल जी की प्रतिमा पर पुष्पार्चन  से आरंभ हुआ. इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. अभिषेक शुक्ल एवं आभार ज्ञापन प्रो. सुषमा पांडेय ने किया. इस अवसर पर प्रोफेसर हर्ष सिन्हा, प्रोफेसर विनोद सिंह, प्रोफेसर मनोज कुमार तिवारी, प्रोफेसर गोपाल प्रसाद, प्रोफेसर अनुभूति दुबे, कुलसचिव धीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव, डॉ रंजन लता, डॉक्टर दीपा श्रीवास्तव, डॉ गरिमा सिंह, डॉ श्वेता, डॉ सुनीता, डॉ रश्मि आदि शिक्षक एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम के अतिरिक्त इतिहास, मनोविज्ञान, हिंदी, रसायनशास्त्र, भौतिकी, जीव विज्ञान, समाजशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, कॉमर्स, इंजीनियरिंग, अर्थशास्त्र, उर्दू, अंग्रेजी, प्राचीन इतिहास आदि विभिन्न विभागों एवं संकाय में दीनदयाल जी पर केंद्रित विविध कार्यक्रम एवं व्याख्यान समारोहपूर्वक आयोजित हुए।

इन कार्यक्रमों में अधिकांश स्थानीय तो कहीं बाहर के विद्वानों का भी महत्वपूर्ण व्याख्यान हुआ. मसलन, इतिहास विभाग में महाराजा सायाजीराव विश्वविद्यालय, बडौदा की प्रोफेसर आद्या सक्सेना ने दीनदयाल जी के जीवन एवं चिंतन पर अपना महत्वपूर्ण व्याख्यान दिया।

क्राइम मुखबिर न्यूज़ – अपराध की तह तक !

RELATED ARTICLES

Most Popular

error: Content is protected !!