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5 हजार करोड़ से भी ज्यादा कीमत; दिल्ली का ‘कोकीन किंग’ कौन, कहां से आया इतना ड्रग्स

रतन गुप्ता उप संपादक 2/10/2024

राजधानी दिल्ली में ड्रग्स के एक बहुत बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हजारों करोड़ रुपए के ड्रग्स की बरामदगी की है और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है।

5 हजार करोड़ से भी ज्यादा कीमत; दिल्ली का ‘कोकीन किंग’ कौन, कहां से आया इतना ड्रग्स

राजधानी दिल्ली में ड्रग्स के एक बहुत बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ हुआ है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हजारों करोड़ रुपए के ड्रग्स की बरामदगी की है और चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। स्पेशल सेल सेल के मुताबिक बरामद ड्रग्स में 562 किलो कोकीन और 40 किलो थाईलैंड का मेरवाना ड्रग्स है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोकीन की कीमत प्रति किलो 10 करोड़ रुपये है। इस हिसाब से बरामद ड्रग्स की कीमत करीब 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा है।
स्पेशल सेल ने यह खुलासा किया कि पुलिस को केंद्रीय खुफिया इकाइयों से मिले इनपुट के आधार पर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस पर पिछले दो महीनों से काम चल रहा था। दिल्ली में कोकीन की अब तक की सबसे बड़ी खेप पकड़ी गई है। इतनी कोकीन एक साथ कभी नहीं पकड़ी गई। हेरोइन एक बार 360 किलो पकड़ी गई थी। लेकिन कोकीन कभी भी दो-चार किलो से ज्यादा नहीं पकड़ी गई।

दिल्ली ड्रग्स
स्पेशल सेल ने यह भी बताया कि इस मामले में जिन 4 लोगों को गिरफ्तार किया है। उनमें किंगपिन का नाम तुषार गोयल है। वह दिल्ली के वंसत विहार का रहने वाला है। इसके साथ पुलिस ने इसके साथी औरेंगजेब, हिमांशु को भी पकड़ा है। ये दोनों इसके साथ ही रहते हैं। औरंगजेब इसकी गाड़ी ड्राइव करता है, जबकि लंबी कद-काठी का हिंमाशु इस काम में अक्सर इसके साथ रहता है। वहीं पुलिस के मुताबिक चौथे आरोपी का नाम भरत जैन है। भरत जैन कोकीन की खेप में लेने के लिए मुम्बई से दिल्ली आया था।

स्पेशल सेल के एडिशनल कमिश्नर प्रमोद कुशवाहा ने बताया कि पुलिस ने गिरफ्तार आरोपियों के पास से पहले 15 किलो कोकिन बरामद की। इसके बाद इनकी निशानदेही पर फिर महिपालपुर एक्सटेंशन स्थित गोदाम पहुंची, जहां से पुलिस ने छापेमारी कर बाकि ड्रग्स बरामद की। सेल ने यह बताया कि बरामद ड्रग्स 23 कार्टून और 8 यूएस पोलो शर्ट के कवर के अंदर छिपाकर रखी गई थी। इस रैकेट को मिडिल ईस्ट के एक देश से एक हैंडलर ऑपरेट कर रहा था। दिल्ली में ये ड्रग्स अलग अलग शहरों से पहुंची थी। मिडिल ईस्ट से इसे अलग-अलग प्रदेशों में सुविधा के अनुसार भेजा था। वहां से दिल्ली पहुंचती थी। फिर इसे नेटवर्क के जरिए छोटी-बड़ी मात्रा में डिस्ट्रीब्यूट किया जाता था।

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