संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट

आज आसार शुक्ल पूर्णिमा या गुरु पूर्णिमा है। इस दिन गायत्री, दीक्षा और वैदिक मंत्रों का जाप करने वाले तथा शिक्षा प्रदान करने वाले गुरुओं के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है।
वैदिक ग्रंथ महाभारत के रचयिता वेद व्यास की जयंती के अवसर पर वैदिक काल से मनाई जाने वाली व्यास जयंती को गुरु पूर्णिमा माना जाता है।
बमाना जाता है कि वेद व्यास ने वेदांत, अठारह पुराण, उपनिषद आदि धार्मिक ग्रंथों की रचना करके हिंदू संस्कृति में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
शिष्यों के लिए अपने गुरु के सम्मान में विभिन्न प्रकार के मीठे व्यंजन अर्पित करके अपना सम्मान व्यक्त करने की परंपरा रही है। गुरु का माता या पिता के समान सम्मान करने की प्रथा है।
गुरु पूर्णिमा के दिन, विभिन्न विद्यालय और संगठन अपने गुरु के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते हैं जिन्होंने उन्हें शिक्षा दी और दीक्षा दी।
संस्कृत में ‘गु’ का अर्थ अंधकार और ‘रु’ का अर्थ प्रकाश होता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार, जो व्यक्ति अज्ञान के अंधकार को ज्ञान के प्रकाश से नष्ट करता है, उसे गुरु कहा जाता है, जैसा कि तंत्र और धर्मशास्त्र की पुस्तकों में उल्लेख किया गया है।
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