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उच्च जोखिम श्रेणी के लाखों संभावित टीबी रोगियों की बनेगी प्रिजेंप्टिव आईडी

उप संपादक अवधेश पाण्डेय की रिपोर्ट

जिले में चौबीस मार्च तक चलेगा सौ दिवसीय सघन टीबी उन्मूलन अभियान

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने टीबी रोगी खोजी वैन को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया

गोरखपुर। जिले में चल रहे सौ दिवसीय सघन टीबी उन्मूलन अभियान के दौरान उच्च  जोखिम श्रेणी के लाखों संभावित टीबी रोगियों की स्क्रीनिंग की जाएगी। साथ ही उनकी निक्षय पोर्टल पर प्रिजेंप्टिव आईडी बनाई जाएगी। इन रोगियों में से जांच के बाद जो टीबी के मरीज निकलेंगे उनका उपचार शुरू होगा और बाकी लोगों की आईडी क्लोज की जाएगी। टीबी मरीजों के निकट सम्पर्कियों की भी जांच होगी और टीबी की पुष्टि न होने पर भी उन्हें बचाव की दवा खिलाई जाएगी। यह जानकारी मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने दी।

उन्होंने अपने कार्यालय से टीबी रोगी खोजी वैन को गुरूवार को हरी झंडी दिखा कर रवाना किया । यह वैन पोर्टेबल एक्स रे मशीन के माध्यम से प्रतिदिन सैकड़ों संभावित टीबी रोगियों की जांच करेगी।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि 07 दिसम्बर से शुरू हुए इस अभियान के दौरान अभी तक करीब 12000 से अधिक प्रिजेम्पटिव आईडी बनाई जा चुकी है। शासन से प्राप्त दिशा निर्देशों के अनुसार साठ साल से अधिक उम्र के लोग, कुपोषित या कमजोर लोग, मधुमेह रोगी, धुम्रपान व नशा करने वाले, इलाज प्राप्त कर रहे टीबी रोगियों को निकट सम्पर्कियों, इलाज पूरा कर चुके टीबी रोगी, एचआईवी रोगी और मलिन बस्तियों में रहने वाले लोग उच्च जोखिम श्रेणी में आते हैं और उनमें टीबी की आशंका कहीं अधिक है । ऐसे लोगों की समय से जांच कर टीबी की पहचान होने पर सही से पूरा इलाज करवाया जाए तो यह पूरी तरह से ठीक हो सकती है, लेकिन अगर एक मरीज का समय से इलाज न हो तो वह साल भर में पंद्रह नये टीबी मरीज बना सकता है। इसके विपरीत उपचाराधीन टीबी रोगी से संक्रमण की आशंका कम होती है।

सीएमओ डॉ  दूबे ने बताया कि उच्च जोखिम वाले संभावित टीबी रोगियों को एक्स रे केंद्र और सीबीनॉट मशीन तक ले जाने के लिए 108 नंबर एम्बुलेस सेवा की भी सुविधा सरकारी खर्चे पर दी जाएगी। अलग अलग स्थानों पर भी कैम्प लगा कर जांच किये जाएंगे। अभियान के दौरान समाज के प्रभावशाली लोगों और धर्मगुरूओं की तरफ से जनसमुदाय से अपील की जा रही है। जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ गणेश यादव और उनकी टीम की देखरेख में प्रचार प्रसार का भी व्यापक अभियान चलाया जा रहा है।

इस मौके पर डिप्टी सीएमओ डॉ अनिल सिंह, डिप्टी डीटीओ डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, डीएचईआईओ केएन बरनवाल, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, डीपीसी धर्मवीर प्रताप सिंह, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट नाविल, एआरओ एसएन शुक्ला, इंद्रनील आदि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।

इन लक्षणों के साथ कराएं जांच
सीएमओ ने बताया कि टीबी आमतौर पर फेफड़ों में होती है लेकिन यह शरीर के अन्य अंगों में भी हो सकती है। दो हफ्ते से अधिक की खांसी, बुखार, रात में पसीना आना, मुहं से खून आना, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ, वजन कम होना, भूख न लगना, थकान और गर्दन में गिलटी या गांठें टीबी के प्रमुख लक्षण हैं। इस बीमारी की जांच और इलाज की सुविधा सरकारी खर्चे पर मौजूद है।

दी जा रही हैं सुविधाएं

सीएमओ ने बताया कि टीबी के उपचाराधीन मरीजों को अच्छा पोषण व खुराक मिल सके, इसके लिए नवम्बर 2024 से निक्षय पोषण योजना के तहत प्रति माह 1000 रुपये की दर से खाते में सहायता राशि दी जा रही है। इससे पहले यह रकम पांच सौ रुपये प्रति माह की दर से थी। इसे इलाज चलने तक दिया जाता है। जरूरतमंद टीबी मरीजों को निक्षय मित्र गोद लेकर इलाज व पोषण में सहयोग प्रदान कर रहे हैं। अभियान के दौरान अधिकाधिक निक्षय मित्रों से टीबी मरीजों की मदद करवाई जाएगी।

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