विशेष संवाददाता अर्चना पाण्डेय की रिपोर्ट

गोरखपुर। कुलपति, प्रो. पूनम टंडन के दूरदर्शी नेतृत्व में, गोरखपुर विश्वविद्यालय में शोध की गुणवत्ता को बढ़ाने और शिक्षकों तथा शोधार्थियों को बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) की ओर प्रेरित करने के लिए उल्लेखनीय प्रयास किए जा रहे हैं। बौद्धिक संपदा अधिकार, जो पेटेंट, कॉपीराइट, भौगोलिक संकेत, ट्रेडमार्क, व्यापार रहस्य आदि के रूप में होते हैं, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रमुख संकेतक हैं और अब यह शोध का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने पेटेंट या कॉपीराइट फाइल करने के इच्छुक व्यक्तियों के लिए वित्तीय सहायता और विशेषज्ञ उपलब्ध कराने का प्रावधान किया है, जो विश्वविद्यालय के नाम पर पेटेंट और कॉपीराइट फाइल करने में सहायता करते हैं। इस प्रावधान के तहत 40 से अधिक पेटेंट फाइल किए गए हैं, जिनमें से 25 से अधिक प्रकाशित हो चुके हैं। दो कॉपीराइट पंजीकृत किए गए हैं और आठ से अधिक प्रस्तुत किए गए हैं।
इसके अलावा, बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए, विश्वविद्यालय का अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ और IPR प्रकोष्ठ, उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा वित्तीय सहायता प्राप्त “बौद्धिक संपदा अधिकार जागरूकता कार्यशाला” का आयोजन कर रहा है, जो 30 जनवरी 2025 को होगी। पिछले वर्ष भी विश्वविद्यालय ने 2 मार्च 2024 को IPR पर एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित की थी, जो उत्तर प्रदेश विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद द्वारा प्रायोजित थी। इस बार की कार्यशाला जैव प्रौद्योगिकी विभाग में आयोजित की जाएगी, जिसमें पाँच विशेषज्ञ व्याख्यान होंगे।
प्रो. एच. एस. चावला, डीन पोस्ट ग्रेजुएट स्टडीज, प्रोफेसर एवं प्रमुख, आनुवंशिकी एवं पौध प्रजनन विभाग, CEO, बौद्धिक संपदा प्रबंधन केंद्र, जी. बी. पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर, “बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR): एक अवलोकन” पर व्याख्यान देंगे। डॉ. कनिका मलिक, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, CSIR-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (NIScPR), नई दिल्ली, “कॉपीराइट और प्रकाशन मुद्दे” पर व्याख्यान देंगी। प्रो. राम चेत चौधरी, पद्म श्री और अध्यक्ष, PRDF, गोरखपुर, “उत्तर प्रदेश में भौगोलिक संकेत टैग: लाभ और हानि” पर चर्चा करेंगे। अधिवक्ता आशीष शर्मा, मैनेजिंग पार्टनर, IP नेशन, नई दिल्ली, “पेटेंट सुरक्षा का मार्ग: फाइलिंग से ग्रांट तक के चरण” पर व्याख्यान देंगे। प्रो. दिनेश यादव, निदेशक, अनुसंधान और विकास प्रकोष्ठ, “IPR प्रेरित अनुसंधान: एक अवलोकन” पर चर्चा करेंगे।
इस कार्यशाला के लिए लगभग 200 प्रतिभागियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें नेपाल के प्रतिभागी भी शामिल हैं। प्रतिभागियों में विभिन्न विश्वविद्यालयों और कॉलेजों के संकाय सदस्य, पीएचडी शोधार्थी और स्नातकोत्तर छात्र शामिल हैं। इस अवसर पर माननीय कुलपति प्रो. पूनम टंडन अध्यक्षीय भाषण देंगी।
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