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कश्मीर पर ट्रंप की मध्यस्थता प्रस्ताव पर कोई तीसरी पक्ष की भूमिका नहीं हैः भारतीय विदेश नीति विशेषज्ञ

नेपाल-भारत सीमा संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट

भारत के विदेश मामलों के जानकार रविंदर सचदेव ने कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तीसरे पक्ष की भूमिका से भारत के इनकार को दोहराया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता की पेशकश के संबंध में बोलते हुए उन्होंने यह टिप्पणी की।

एएनआई से बात करते हुए सचदेव ने कहा, हमारे मामलों में किसी भी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं है।

उन्होंने कहा, अमेरिका एक महाशक्ति है और अमेरिका के साथ भारत के अच्छे और रणनीतिक संबंध हैं। राष्ट्रपति ट्रंप शांति के पक्षधर बनना चाहते हैं।

यूक्रेन और गाजा में अमेरिका द्वारा की जा रही मध्यस्थता की कई मिसालों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ये अब तक शांति प्रक्रिया तक नहीं पहुँच सके हैं।

सचदेव ने कहा, वे यूक्रेन के साथ अभी भी उलझे हुए हैं, जो अब तक किसी शांति ढांचे तक नहीं पहुंच पाया है। गाजा में भी अभी तक शांति स्थापित नहीं हो सकी है।

ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने शांति स्थापना में मदद की है और कश्मीर समाधान के लिए मध्यस्थता करने का प्रस्ताव दोहराया है।

भारतीय विदेश नीति विशेषज्ञ सचदेव ने कहा, संयुक्त राज्य अमेरिका इस ऐतिहासिक और साहसी निर्णय तक पहुँचने में आपकी मदद करने में सक्षम रहा है। मुझे इस पर गर्व है।

राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, हालाँकि मैंने उनके साथ चर्चा नहीं की है, मैं इन दोनों महान देशों के साथ व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि करने जा रहा हूँ।

उन्होंने आगे कहा, इसके अलावा, मैं कश्मीर के मुद्दे पर किसी समाधान तक पहुँचने के लिए आप सभी के साथ काम करना चाहता हूँ। भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को अच्छा कार्य करने का आशीर्वाद दें।

भारत बार-बार जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को खारिज करता आया है और स्पष्ट रूप से कहता रहा है कि यह क्षेत्र भारत का अभिन्न अंग है।

सचदेव ने कहा, भारत अमेरिका के साथ ‘बहुआयामी रणनीतिक मोर्चे’ पर सहयोग करने के लिए उत्सुक है।

एएनआई से बातचीत में उन्होंने भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ उठाए गए कदमों की प्रशंसा करते हुए कहा, यह दुनिया और पाकिस्तान को यह संदेश देता है कि भारत की नीति अब ‘टिट फॉर टैट’ की होगी।

सचदेव ने आगे कहा, मुझे लगता है कि यह भारत की ओर से एक अच्छा व्यावहारिक दृष्टिकोण है। हमें युद्ध में न उलझकर अपनी आर्थिक शक्ति और समग्र राष्ट्रीय शक्ति के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित परमाणु परिणामों का उल्लेख करते हुए कहा, भारत और पाकिस्तान के बीच शत्रुता के अंत का स्वागत है, अन्यथा यदि शांति स्थापित नहीं होती तो लाखों लोगों की जान जा सकती थी।

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