सन्दीप मिश्रा की रिपोर्ट

रायबरेली। महिलाओं के अधिकार की बात करने वाला महिला आयोग और 18 हेल्पलाइन नंबर महिला उत्पीड़न के मामले में किसी भी काम का नहीं दिखाई देता है। क्योंकि बड़े-बड़े दावों के साथ आयोग के सदस्य और अध्यक्ष जिले का भ्रमण करते हैं और प्रचार प्रचार करवाते हैं कि महिलाओं से संबंधित किसी भी प्रकार के उत्पीड़न पर आयोग उनकी मदद करेगा। लेकिन एक मामला ऐसा भी सामने आया है जिसमें आयोग ने साफ हाथ खड़े कर दिए कि उसके बस में कुछ भी नहीं है। मजेदार बात यह है कि इस मामले में 181 हेल्पलाइन नंबर पर भी शिकायत दर्ज करवाई गई थी पीड़ित महिला की शिकायत थी कि दहेज के मुकदमे और मारपीट के मामले दर्ज होने के बाद उसके ससुराल वाले उसे मारपीट कर घर से निकाल दिए हैं और उसे अपनी ससुराल में रहने की अनुमति आयोग अपने माध्यम से दिलवाने की कृपा करें । इस मामले की सुनवाई कर रही आयोग सदस्य पूनम द्विवेदी ने पहले तो प्रार्थना पत्र के साथ महिला को आश्वासन दिया कि हर हाल में आयोग तुमको ससुराल में छुड़वाने का प्रयास आयोग करेगा । मीडिया के सामने भी आयोग सदस्य ने कहा कि इस मामले में पुलिस को भी सख्त कार्रवाई करने के लिए फोन कर दिया है। परंतु 24 घंटे बाइट के बाद आयोग सदस्य के बर्ताव में जमीन आसमान का अंतर आ गया। जहां प्रार्थना पत्र को पढ़ कर उन्होंने तत्काल पुलिस अधिकारी को फोन करके महिला को सुरक्षित उसकी ससुराल में रखवाने का आदेश दिया तो 24 घंटे बाद महिला से यह कहने लगी कि जब तुमने पति के ऊपर 5 मुकदमें दर्ज करवा दिया है तो किस हाल में पति तुमको अपने घर पर रखेगा। इतना कहकर महिला आयोग सदस्य महिला को वापस लौटा दिया यही आज भी पीड़ित महिला अपनी ससुराल नहीं जा पाई है। जबकि उसने एक दर्जन शिकायते महिला आयोग के समक्ष की है।
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