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नवरात्रि के नौवें दिन विशेष रूप से कन्या पूजन का हुआ आयोजन

सह संपादक डॉ. योगेन्द्र पाण्डेय की रिपोर्ट

नगर पंचायत परतावल वार्ड नंबर 02 बल्लभ नगर (तिवारी टोला) निवासी पंचायत इंटरमीडिएट कालेज परतावल के संरक्षक धीरेन्द्र कृष्ण त्रिपाठी ने विद्यालय परिवार  के समृद्धि, खुशहाली के लिए किया नौ दुर्गा रूपी कन्याओं की वैदिक विधान से पूजा अर्चन |

कंजक पूजन या कन्या पूजन कहा जाता है, यह दिन माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के समापन के रूप में मनाया जाता है | इस दिन लोग छोटी कन्याओं को माँ दुर्गा का रूप मानकर उनकी पूजा करते हैं और उन्हें भोजन कराते हैं |

कन्या पूजन की परंपरा:
नौ कन्याओं के साथ एक लड़के (जिसे भैरव कहा जाता है) को भी बुलाया जाता है। ये नौ कन्याएँ माँ दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक मानी जाती हैं। पूजा के दौरान उनके पैर धोए जाते हैं, उन्हें तिलक किया जाता है, और फिर प्रसाद, फल, मिठाई, और भोजन करवाया जाता है | अंत में उन्हें उपहार, मुद्रा, वस्त्र भी दिए जाते हैं।

कन्या पूजन का महत्व:
कन्या पूजन से माँ दुर्गा प्रसन्न होती हैं, और भक्तों को समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली का आशीर्वाद देती हैं | ऐसा माना जाता है कि कन्या पूजन से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और सारे दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं।

समाज में इसके आयोजन:
खासकर उत्तर भारत में, इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन होता है और कई स्थानों पर सामूहिक रूप से कन्याओं को भोजन कराया जाता है।

नौ दुर्गा पूजा विधान को वैदिक विद्वान गुरु गोरक्षनाथ मंदिर के वैदिक आचार्य डॉक्टर रंगनाथ त्रिपाठी के साथ सहआचार्य प्रवक्ता पण्डित सौरभ पाठक द्वारा अनुष्ठान को सम्पन्न कराया गया।

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