पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ
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ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य जीवन पर नव ग्रहों का प्रभाव किसी न किसी रूप में प्रभाव जरूर रहता है । ग्रहों के दुष्प्रभाव के कारण मनुष्य परेशान हो उठता है । हम नीचे नव ग्रहों के दुष्प्रभाव से होने वाली पीड़ाओं
के निवारण के लीये जड़ी और बूटियो के सरल उपाय बता रहे है :-
1= सूर्य
सूर्य के प्रतिकूल होने पर दिल का दोरा आँखो की बीमारी चर्मरोग हिस्टीरिया जैसी बीमारियां पैदा हो जाती है1
उपाय = बिल्व व्रक्ष की जड़ गले या भुजा में धारण करना चाहिए । गेहूँ गुड़ लाल चन्दन तथा लाल फूल का दान करना चाहिए ।
2=चन्द्रमा
चन्द्रमा के प्रतिकूल होने पर अनिद्रा गठिया पाचन शक्ति कमजोर होना कफ मानसिक समस्या आदि ।
उपाय =खिरनी की जड़ को सफेद वस्त्र में बाधकर भुजा या गले में धारण करना चाहिए।
3=मंगल
मंगल ग्रह के प्रतिकूल होने पर खून सम्बन्धी रोग सिरदर्द बुखार गले का रोग आदि ।
उपाय=अनंतमूल की जड़ को मंगलवार के दिन लाल वस्त्र में बाँधकर गले या भुजा में धारण करना चाहिए।
4=बुध
बुध ग्रह प्रतिकूल होने पर नाक कान के रोग
चर्म रोग ऊचे स्थान से गिरना दिमाग की खराबी आदि
उपाय =विधारा की जड़ को हरे धागे में बांधकर गले या भुज में धारण करे।
5=गुरु
गुरु के प्रतिकूल होने पर गैस की बीमारी कानों की बीमारी आदि ।
उपाय=गुरुवार के दिन नारंगी की जड़ को पीले वस्त्र में धारण करे।
6=शुक्र शुक्र ग्रह के प्रतिकूल होने पर गुदारोग मूत्र रोग वीर्य विकार आदि
उपाय= शुक्रवार के दिन मजीठ की जड़ को सफेद वस्त्र में गले या बाजू में धारण करे।
7= शनि
शनि के प्रतिकूल होने पर एक्सिडेंट होना पैरो में चोट आना गठिया रोग।होना आदि ।
उपाय=शनिवार के दिन कटेला को काले वस्त्र में बाँधकर गले या बाजू में धारण करना चाहिए।
8=राहु
राहु के प्रतिकूल होने पर आत्महत्या की सम्भावना ह्रदय रोग डिप्रेशन रक्त चाप आदि ।
उपाय= शनिवार के दिन सफेद चन्दन की जड़ को काले वस्त्र में बाँधकर गले या बाजू में धारण करे।
9=केतु
केतु ग्रह के प्रतिकूल होने पर दाँत के रोग आग से जल जाना फोड़े फुँसी आदि ।
उपाय =असगन्ध की जड़ को काले वस्त्र में धारण करना चाहिए।
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