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भारत, चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने पर सहमत

उप संपादक रतन गुप्ता की रिपोर्ट

भारत और चीन कैलाश मानसरोवर यात्रा पुनः शुरू करने पर सहमत हो गए हैं। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की दो दिवसीय चीन यात्रा के दौरान यह समझौता हुआ। समझौते के अनुसार, भारत और चीन के बीच सीधी हवाई सेवा भी जल्द ही शुरू की जाएगी।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सहमत मुद्दों के बारे में जानकारी दी है। बयान के अनुसार, भारतीय विदेश सचिव मिसरी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक के बाद छह सूत्री सहमति बनी।

दोनों देशों के अधिकारियों ने नदी से संबंधित जल विज्ञान संबंधी आंकड़ों और अन्य सहयोग का आदान-प्रदान करने के लिए शीघ्र ही एक विशेषज्ञ स्तरीय बैठक आयोजित करने पर भी सहमति व्यक्त की है। मीडिया और थिंक टैंकों के बीच विचार-विमर्श और यात्राओं को बढ़ावा देने पर भी सहमति हुई है।

कैलाश मानसरोवर यात्रा और दोनों देशों के बीच सीधी हवाई सेवा 2020 से निलंबित है। सीमा विवाद के कारण संबंध खराब हुए और कोविड महामारी इसका कारण थी। वर्ष 2020 में गलवान क्षेत्र में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प के बाद संबंध बिगड़ गए।
नेपाल का हित

हाल ही में भारत और चीन संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं। इस संबंध में भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने एक महीने पहले चीन का दौरा किया था। उस यात्रा के दौरान यह खबर सार्वजनिक हुई कि दोनों देशों के अधिकारी कैलाश मानसरोवर यात्रा खोलने पर सहमत हो गए हैं। लेकिन यह स्पष्ट नहीं था कि किस मार्ग का उपयोग किया जाए।

यद्यपि भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री की चीन यात्रा के दौरान कैलाश मानसरोवर यात्रा को पुनः आरंभ करने पर सहमति बनी थी, लेकिन मार्ग अभी स्पष्ट नहीं है।

कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए एक मार्ग सिक्किम में नाथुला दर्रे से होकर तथा दूसरा मार्ग उत्तराखंड में पिथौरागढ़ और लिपुलेख से होकर जाया जा सकता है। चूंकि यह केवल 65 किलोमीटर दूर है, इसलिए इस मार्ग पर यात्रा करना आर्थिक रूप से सस्ता माना जाता है। इसलिए भारत इस मार्ग को प्राथमिकता दे रहा है और पिथौरागढ़ से लिपुलेख तक सड़क का निर्माण कर रहा है।

नेपाल ने लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी सहित क्षेत्र को अपने चुक्चे मानचित्र में अपने क्षेत्र के रूप में शामिल किया है। लेकिन भारत उन क्षेत्रों पर अपना दावा करता रहा है। जब भारत और चीन ने कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए विवादित भूमि का उपयोग किया तो नेपाल को इसकी जानकारी नहीं दी गई।

14 मई 2015 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान उनके समकक्ष ली केकियांग के साथ लिपुलेख सीमा को व्यापार मार्ग के रूप में उपयोग करने पर सहमति बनी थी। नेपाल ने भारत और चीन दोनों को राजनयिक नोट भेजकर संयुक्त वक्तव्य में शामिल समझौते पर आपत्ति व्यक्त की थी। लेकिन दोनों देश इसकी अनदेखी करते रहे हैं।

क्राइम मुखबिर न्यूज
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