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भारत द्वारा समझौते के अनुसार गंडक में पानी न छोड़े जाने से किसानों को रोपाई में दिक्कतों का करना पड़ रहा है सामना

संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट

परसा जिला – गंडक नहर प्रणाली पर निर्भर किसानों को भारत द्वारा समझौते के अनुसार पर्याप्त पानी न दिए जाने के कारण रोपाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बीज तैयार होने के बावजूद, नहर में पानी न होने के कारण बुवाई में देरी हो रही है।

बारा जिला और रौतहट जिला के किसानों को विशेष रूप से बुवाई में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

नेपाल और भारत के बीच हुए गंडक समझौते के अनुसार, भारत को नहर में 850 क्यूसेक पानी देना है, लेकिन वर्तमान में उसने औसतन केवल 550 क्यूसेक पानी ही उपलब्ध कराया है।

नारायणी सिंचाई प्रबंधन कार्यालय के प्रमुख मनोज कुमार पटेल के अनुसार, इस वर्ष भारत ने निर्धारित समय पर पानी तो उपलब्ध कराया है, लेकिन किसानों को ज़रूरत के समय कम पानी उपलब्ध कराया है।

उन्होंने कहा, “समझौते के अनुसार, भारत को शुरू से ही 850 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराना था, लेकिन इस साल जुन 27 से जुलाई 3 और जुलाई 7 तक भारत ने समझौते के अनुसार 550 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराया।”

उन्होंने कहा कि जुलाई 8 से भारत ने फिर से समझौते का उल्लंघन किया है और औसतन केवल 550 क्यूसेक पानी ही उपलब्ध कराया है।

कार्यालय के सूचना अधिकारी और इंजीनियर सुरेश साह के अनुसार, भारतीय दो-शाखा नहर प्रमुख महेंद्र चौधरी को टेलीफोन पर समझौते से कम पानी उपलब्ध कराने की औपचारिक जानकारी दे दी गई है और समझौते का ईमानदारी से पालन करने का आग्रह किया गया है।

उन्होंने कहा, “हम पहले ही भारतीय पक्ष से समझौते का ईमानदारी से पालन करने का आग्रह कर चुके हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “नहर में पानी की कमी के कारण, नहर प्रणाली पर निर्भर किसानों, खासकर बारा जिला और रौतहट जिला में, की बुवाई में देरी हो रही है।”

गुरुवार को साह ने कहा कि नहर के केवल ब्लॉक संख्या 8, यानी बारा जिला के पसहा खोला क्षेत्र तक ही पानी पहुँचा है।

उन्होंने बताया कि गुरुवार को ही कार्यालय की पूरी तकनीकी टीम ने जीरो आरडी (परसा जिला के जगरनाथपुर) से रौतहट जिलाके बागमती खोला क्षेत्र तक नहर का निरीक्षण किया और नहर में जल प्रवाह यथासंभव पूर्ण हो, इसके लिए काम कर रही है।

भारत के साथ गंडक समझौते के अनुसार, भारत को धान की फसल के लिए जुन 29 से और गेहूँ की फसल के लिए दिसम्बर 25 से हर साल नहर में 850 क्यूसेक पानी उपलब्ध कराना है।

भारत नवलपरासी जिला के भैंसालोटन में नेपाल-भारत सीमा पर बने बैराज से नहर में पानी छोड़ता है। भारत में 92 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद, यह नहर परसा जिला के जगरनाथपुर ग्रामीण नगर पालिका के जानकीटोला से नेपाल में प्रवेश करती है।

परसा जिला, बारा जिला और रौतहट जिला सहित 15 प्रखंडों में विभाजित गंडक नहर की लंबाई नेपाल की ओर 81 किलोमीटर है।

गंडक बैराज का निर्माण भारत ने ही किया है और इसका संचालन भी भारत ही करता है। उसने नहर की संरचना इस तरह से बनाई है कि बैराज से नेपाल की तुलना में भारतीय क्षेत्र में ज़्यादा पानी जाता है। भारत सरकार ने 1975 और 1976 में दो चरणों में गंडक नहर नेपाल सरकार को सौंपी थी।

हालाँकि गंडक नहर के ज़रिए परसा,जिला बारा जिलाऔर रौतहट जिला के तीन ज़िलों की 37,400 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन भारत हर साल कोई न कोई समस्या बताकर समझौते के मुताबिक़ नेपाल को 850 क्यूसेक पानी नहीं देता रहा है।

किसान संघर्ष समिति, परसा जिला के सचिव पृथ्वी साह कानू के अनुसार, जब मधेश प्रांत में बारिश नहीं होती, तो गंडक नहर तीनों ज़िलों के किसानों को, चाहे थोड़ी ही सही, राहत पहुँचाती है, लेकिन इस साल नहर में पानी की कमी के कारण नहर प्रणाली पर निर्भर किसानों को बुआई में दिक्कत आ रही है।

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