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भौतिक विज्ञान विभाग में दो दिवसीय रिफ्रेशर कार्यक्रम  आयोजित

विशेष संवाददाता अर्चना पाण्डेय की रिपोर्ट

गोरखपुर: भौतिक विज्ञान विभाग  गोरखपुर विश्वविद्यालय में चल रहे दो सप्ताह के रिफ्रेशर कोर्स के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्ता एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता
कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन के द्वारा ऑनलाइन  जूम मीटिंग में किया गया I इस कार्यक्रम में कुल 95 शिक्षकों ने आवेदन किया था जिसमें से यूजीसी के द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करते हुए 28  शिक्षक सफल हुए यह शिक्षक पूरे भारतवर्ष के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में  विभिन्न जगहों पर कार्यरत हैं । मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, प्रोफेसर पीसी त्रिवेदी ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षकों के लिए कौशल विकास पाठ्यक्रमों और प्रशिक्षण की आवश्यकता है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षण और अनुसंधान की कमी और विश्वविद्यालयों के पुनर्गठन और आधुनिकीकरण की आवश्यकता सहित भारत की शिक्षा प्रणाली के सामने आने वाली चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। श्री त्रिवेदी ने अच्छे शिक्षण और शोध के लिए सादगी और तनाव मुक्त जीवन के महत्व पर भी जोर दिया। प्रोत्साहन, नवाचार और और शोध को नए पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात की। उन्होंने दूसरों को उनके अच्छे काम के लिए बधाई देने और प्रोत्साहित करने के महत्व पर चर्चा करते कहा कि  खुशी पाने का मंत्र व्यक्तिगत इच्छाओं को संतुष्टि के  रूप में किया जा सकता हैं। उनके चर्चा में क्वांटम कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स और सामाजिक अनुप्रयोगों जैसे विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
  विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर संजीत कुमार गुप्ता, कुलपति  जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय, बलिया  ने पाठ्यक्रम के समयबद्ध और सुव्यवस्थित आयोजन की सराहना की, जिसमें विशेषज्ञों द्वारा व्याख्यान और प्रस्तुतियों के माध्यम से रसायन विज्ञान, जैव विज्ञान, डीएफटी और क्वांटम यांत्रिकी जैसे विविध विषयों को शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर त्रिवेदी, जो पादप विज्ञान और वैज्ञानिक संगठनों में अपने योगदान के लिए जाने जाते हैं, को एक शिक्षक, शोधकर्ता और विज्ञान के प्रवर्तक के  विरासत के लिए सम्मानित किया जाता रहेगा। उन्होंने शिक्षा और अनुसंधान में विश्वविद्यालयों की भूमिका को ज्ञान में सृजन, संरक्षण और प्रसार के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और अनुसंधान की आवश्यकता और शिक्षकों और छात्रों के लिए आवश्यक सुविधाएँ प्रदान करने में विश्वविद्यालयों की भूमिका पर प्रकाश डाला। तकनीकी विषयों के साथ-साथ मानविकी को पढ़ाने और नवाचार करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया। पूरे भारत से आमंत्रित वक्ताओं द्वारा पुनश्चर्या पाठ्यक्रम व्याख्यानों के लिए प्रशंसा व्यक्त की गई।

सोमवार के  दूसरे सत्र के द्वितीय संबोधन में  दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर की  कुलपति ने  शिक्षकों को संबोधन करते हुये नए प्रकार के दवा के खोज के बारे में विस्तार से चर्चा की l दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर के माननीया कुलपति प्रोफेसर पूनम टण्डन ने सामग्री विज्ञान, वायुमंडलीय भौतिकी और प्लाज्मा भौतिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्पेक्ट्रोस्कोपी के अनुप्रयोग पर चर्चा की। उन्होंने आणविक संरचनाओं, अंतःक्रियाओं और तंत्रों के अध्ययन के लिए एक उपकरण के रूप में स्पेक्ट्रोस्कोपी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ने सामग्रियों के क्षरण का अध्ययन करने में इन्फ्रारेड (आईआर) और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के उपयोग का भी प्रदर्शन किया, इन्हें डिफरेंशियल थर्मल एनालिसिस (डीटीए) या थर्मोग्रैविमेट्रिक एनालिसिस (टीजीए) के साथ जोड़ा।
फार्मास्युटिकल कंपाउंड अध्ययन में स्पेक्ट्रोस्कोपी में,  दवा के गुणों को निर्धारित करने में बहुरूपता को समझने के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए, फार्मास्युटिकल यौगिकों के अध्ययन में स्पेक्ट्रोस्कोपी के अनुप्रयोग को बताया। उन्होंने  कहा कि किसी दवा का ठोस रूप, जैसे कि टैबलेट, उसके अंतिम उत्पाद रूप, आणविक संरचना, जैव उपलब्धता और स्थिरता पर सीधा प्रभाव डालता है।   दवाओं के भौतिक और रासायनिक गुणों को संशोधित करने के लिए क्रिस्टल इंजीनियरिंग के उपयोग और विभिन्न बहुरूपी रूपों के बीच अंतर करने में कंपन स्पेक्ट्रोस्कोपी की क्षमता पर भी चर्चा की गई। उन्होंने  अपने विश्वविद्यालय में भौतिक और रासायनिक विज्ञान को समर्पित एक केंद्रीय उपकरण सुविधा की आगामी स्थापना की घोषणा की।   प्रोफेसर पूर्व टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय शोध की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है विश्वविद्यालय के द्वारा विगत वर्षों में बहुत सारे पेटेंट कराए गए एवं वर्तमान में विश्वविद्यालय शोध के मामले में प्रदेश का अग्रणी विश्वविद्यालय है विश्वविद्यालय की केयू एस रैंकिंग प्रदेश में अग्रणी  है विश्वविद्यालय एक इंस्ट्रूमेंटेशन सेंटर बनाने जा रहा है जिसमें कोई भी  शोधार्थी, शिक्षक आकर के यहां के उपकरणों का प्रयोग करके अपने रिसर्च को आगे बढ़ा सकता है कुलपति ने  शिक्षकों को संबोधन करते हुये नए प्रकार के दवा के खोज के बारे में विस्तार से चर्चा की I उन्होंने आणविक संरचनाओं, अंतःक्रियाओं और तंत्रों के अध्ययन के लिए एक उपकरण के रूप में स्पेक्ट्रोस्कोपी के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने ने सामग्रियों के क्षरण का अध्ययन करने में इन्फ्रारेड (आईआर) और रमन स्पेक्ट्रोस्कोपी के उपयोग का भी प्रदर्शन किया, इन्हें डिफरेंशियल थर्मल एनालिसिस (डीटीए) या थर्मोग्रैविमेट्रिक एनालिसिस (टीजीए) के साथ जोड़ा। फार्मास्युटिकल कंपाउंड अध्ययन में स्पेक्ट्रोस्कोपी में,  दवा के गुणों को निर्धारित करने में बहुरूपता को समझने के महत्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए, फार्मास्युटिकल यौगिकों के अध्ययन में स्पेक्ट्रोस्कोपी के अनुप्रयोग का प्रदर्शन किया। उन्होंने  बताया कि किसी दवा का ठोस रूप, जैसे कि टैबलेट, उसके अंतिम उत्पाद रूप, आणविक संरचना, जैव उपलब्धता और स्थिरता पर सीधा प्रभाव डालता है।   दवाओं के भौतिक और रासायनिक गुणों को संशोधित करने के लिए क्रिस्टल इंजीनियरिंग के उपयोग और विभिन्न बहुरूपी रूपों के बीच अंतर करने में कंपन स्पेक्ट्रोस्कोपी की क्षमता पर भी चर्चा की गई। उन्होंने  अपने विश्वविद्यालय में भौतिक और रासायनिक विज्ञान को समर्पित एक केंद्रीय उपकरण सुविधा की आगामी स्थापना की घोषणा की।  कार्यक्रम के संयोजक प्रोफेसर राकेश तिवारी ने अतिथियों का परिचय कराया एवं उनका स्वागत किया l अतिथियों एवं प्रतिभागियों  प्रो उमेश यादव  ने आभार व्यक्त किया।  कार्यक्रम का संचालन विभाग की  असिस्टेंट प्रोफेसर अपरा त्रिपाठी ने किया।

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