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मंच साझा करने वालो का न ईमान,धर्म और न ही वसूल : यश पांडेय

संदीप मिश्रा की रिपोर्ट


● बंद कमरे में समझौते के कारण मेरे पिता राकेश पांडेय को नही मिला इंसाफ


रायबरेली जिलें में भाजपा के दो नेताओ के एक साथ एक मंच पर आने के बाद जनपद की राजनीति में भूचाल सा आ गया। क्योंकि पार्टी चाहे जो रही हो जिले की राजनीति में इन परिवार का 36 का आंकड़ा था। कांग्रेसी नेता राकेश पांडेय की हत्या और उसके बाद पूरे जिले ने जिस तरह का माहौल देखा था उसकी यादे आज भी ताजा है। राकेश पांडेय ही नही कई अन्य लोगो की भी इस वर्चस्व और वसूलो की राजनीति में हत्याएं हो चुकी थी। लेकिन एक कार्यक्रम के मंच पर और बंद कमरे की गुफ्तगू की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आने के बाद से  राजनैतिक व तरह-तरह की अफवाहों का बाजार गर्म है। आरोप और प्रत्यारोप का दौर जारी है। वही स्व. राकेश पाण्डेय के बेटे यश पाण्डेय ने भी अपने चाचा ऊँचाहार विधायक डा. मनोज कुमार के पाण्डेय पर तीखे प्रहार किये है। उन्होंने के कहा कि ऊंचाहार विधायक किसी के नहीं हो सकते वह केवल अपने फायदे और अवसर के साथ है। केवल अपनी सुरक्षा की दुहाई देकर राजनैतिक यात्रा करते हैं। उन्होंने कहा कि उनके पिता की मौत के बाद सभी ने बंद कमरे में समझौता कर लिया यही कारण रहा कि 23 वर्षों से मुझे व मेरी मां को न्याय नहीं मिला और न ही किसी से कभी कोई मदद नहीं मिली,  उन्होंने कहा है कि मेरे पिता की हत्या के बाद जिस तरह उनकी लाश पर राजनीति की गयी, वह किसी से छिपा नहीं है। मुझे और मेरी मां को तमाम मुसीबतों का सामना करना पड़ा है क्योंकि किसी ने भी पारिवारिक स्तर से सहायता नहीं की। यश पाण्डेय ने कहा कि ऊंचाहार विधायक ने अपनी सफाई में कहा था कि मंच एक मर्यादा होती है। जिस पर यश पांडेय ने कहा की मंच पर पार्टी की मर्यादा रहती है तो फिर उसके बाद बंद कमरे में कौन सी मर्यादा का पालन किया जा रहा था। बंद कमरे में इस प्रकार हंसी-ठिठोली करना कितना उचित था। इस हंसी-ठिठोली में गहरा राज छुपा हुआ है। रायबरेली व ऊंचाहार के जनमानस को सब पता है समय आने पर जनता इनको सिखायेगी।

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