संवाददाता शिवानंद त्रिपाठी की रिपोर्ट
सिसवा महराजगंज मां0मुख्यमंत्री महोदय क्या विडंबना है जो स्थान अंग्रेजो के गुलामी के समय में सिसवा बाजार 17अक्टूबर 1871का नगर पंचायत का दर्जा प्राप्त किया था उस समय व्यापार के मामले गोरखपुर के बाद इसका एक अपना स्थान था जहां ब्यापारियो का समान मालगाड़ी से आकर सिसवा रेलवेस्टेशन पर उतरता था और हर आवश्यक समान के साथ ही अनाज के मामले मे भी इसका कोई सानी नहीं था 30किलोमीटर के एरिया यह मार्केट मशहूर था और यहां व्यापार में इस स्थान का जबाब नही था अंग्रजी हुकूमत में भी यहां न्यायालय चलता था लेकिन जब 15अगस्त 1947को हमारा देश आजाद हुआ और यहां 1952से जब लोकतंत्र स्थापित होकर लोकसभा व विधानसभा से लोकतांत्रिक तरीके से जो लोग निर्वाचित होकर वह लोग गए आज तक सिसवा को बिकास के नाम पर ठगने का कार्य किया और अंधकार में इस स्थान व क्षेत्र को ढकेल दिया इस सिसवा के सामने जो आज जनपद महराजगंज है चिउरहां ग्राम पंचायत के नाम से और निचलौल जीगनहवा ग्राम पंचायत के नाम से पहचान था लेकिन यहां महराजगंज को जिला निचलौल वनौतनवा को तहसील बनाकर अंग्रेजो के जमाने में जिस नगर सिसवा कोअलग स्थान था उसको
जनप्रतिनिधियों ने मात्र उजाड़ने के सिवा कुछ नहीं किया जिसके नाते यहां के बड़े बड़े ब्वसाइ इस स्थान को छोड़कर दूसरे प्रांत में जाकर अपना ब्वसाय सुरु कर दिया इतने के बाद इस स्थान का दुर्दिन कब समाप्त होगा यह अपने आप एक प्रश्न बना हुआ है की यह स्थान को भी कभी आजादी मिलेगी की नही कभी इसका भी विकास होगा?
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