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महराजगंज में  13 बेड पर तीन शिफ्टों में 39 की हो रही डायलसिस

महाराजगंज से उप संपादक रतन गुप्ता की रिपोर्ट


महाराजगंज: महराजगंज जिले के जिला अस्पताल में क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीजों के लिए नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है। यहाँ 13 बेड पर तीन शिफ्टों में 39 मरीजों की डायलिसिस होती है।

महराजगंज जिले में किडनी के क्रानिक मरीजों को जिला अस्पताल काफी सहूलियत दे रहा है। इस समय अस्पताल के 13 बेड पर तीन शिफ्टों में 39 मरीजों की डायलिसिस की जाती है। बताया जा रहा है कि इस समय कोई मरीज वेटिंग में नहीं है।


नोडल अधिकारी व चेस्ट फिजीशियन डॉ. रंजन कुमार सिंह ने बताया कि शुरुआती दौर में तो डायलिसिस कराने वाले मरीजों की संख्या कम होती थी। कुछ मरीज निजी चिकित्सालयों की सेवा लेते रहे। लेकिन अब जिला अस्पताल में मरीजों का दबाव बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि जिला अस्पताल की डायलिसिस यूनिट पहले दस बेड की थी। बाद में तीन बेड और बढ़ाया गया। एक मरीज की डायलसिस में करीब चार घंटे लगते हैं और 36 से 39 मरीजों की डायलसिस हो जाती है।


तीन शिफ्ट में होती है डायलिसिस

पहला शिफ्ट 7 से 11 बजे तक

दूसरा शिफ्ट 12 से 4 बजे तक

तीसरा शिफ्ट 5 से 9 बजे तक

जिला अस्पताल से मिल रही काफी राहत

डायलसिस करा रहे मरीजों का कहना है कि जिला अस्पताल में डायलिसिस कराने पर बहुत राहत मिल रही है। यहां नि:शुल्क सेवा है। एक मरीज का कहना है कि दो साल से वे गोरखपुर के एक निजी अस्पताल में डायलिसिस करा रहे थे और प्रति डायलसिस उन्हें 1500 रुपये देने पड़ते थे। अब जिला अस्पताल में उनको कोई पैसा नहीं देना पड़ रहा है।


267 मरीजों की हो चुकी है 14401 बार डायलिसिस

डायलिसिस प्रबंधक राजनाथ त्रिपाठी ने बताया कि मार्च 2022 से शुरू हुए डायलिसिस सेंटर में 28 अगस्त तक 267 लोगों की 14401 बार डायलिसिस हो चुकी है।

क्रोनिक किडनी डिजीज के मरीजों की ही डायलिसिस होती है। डायलिसिस कराने वाले मरीजों में से 40 फीसदी का सप्ताह में तीन बार तथा 60 फीसदी का सप्ताह में दो बार डायलिसिस की जाती है। बीच में यदि किसी मरीज की स्थिति गंभीर होती है, तो उसे भी सेवा दी जाती है।

डायलिसिस कराने वाले सभी मरीजों को बेहतर सेवा देने के लिए जिला अस्पताल प्रशासन कटिबद्ध है। डायलिसिस कराने वाले मरीजों के शरीर में सात ग्राम/डीएल खून होना जरूरी है। इससे कम खून रहने पर मरीज को चिकित्कीय सलाह लेने को कहा जाता है।

डॉ. एपी भार्गव, सीएमएस

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