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मणिपुर में क्यों है उथल-पुथल? 5 जिलों में इंटरनेट बंद

नेपाल-भारत सिमा संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट

भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में शनिवार रात से फिर से उथल-पुथल मची हुई है। सड़कों पर या तो प्रदर्शनकारी हैं या फिर सुरक्षाकर्मी। ज़्यादातर मुख्य सड़कें जाम हैं और किसी भी समय हिंसा फैलने का ख़तरा बढ़ गया है।

शनिवार रात को पुलिस ने मैतेई समुदाय के स्वयंसेवी संगठन ‘अरमबाई टेंगोल-एटी’ के एक प्रमुख नेता कानन सिंह को गिरफ़्तार किया, लेकिन पुलिस ने उन आरोपों का खुलासा नहीं किया है जिनके तहत उन्हें गिरफ़्तार किया गया है।

कानन की गिरफ़्तारी के बाद उनके समर्थक सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सुत्रो के अनुसार, उन्होंने टायर जलाकर सड़कें जाम कर दीं और एक बस में आग भी लगा दी।

प्रदर्शनकारियों ने इंफाल के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पूरी रात विरोध प्रदर्शन किया और गिरफ़्तार नेताओं को विमान से राज्य से बाहर ले जाने की मांग की।

पाँच ज़िलों में पाँच दिनों के लिए इंटरनेट सेवाएँ बंद कर दी गई हैं और वीसैट और वीपीएन सेवाएँ भी बंद कर दी गई हैं।

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए शीर्ष सुरक्षा और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई थी।

सुत्रो ने बताया कि मैतेई समुदाय के स्वयंसेवी संगठन ‘अरमबाई टेंगोल-एटीआई’ ने दस दिन के बंद की घोषणा की है और आंदोलन को और तेज करने की तैयारी कर रहा है। सुरक्षा सूत्रों का हवाला देते हुए बताया कि कुछ जगहों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच झड़पें हुईं और तीन लोग घायल हो गए।

मई 2023 से मैतेई और कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा में 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और इस संघर्ष के कारण हजारों नागरिक विस्थापित हुए हैं। मैतेई और कुकी दोनों समुदायों ने लगातार दो चुनावों (2014 और 2019) में नरेंद्र मोदी की पार्टी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बहुमत दिया।

हालांकि, मणिपुर में फैली हिंसा में दिलचस्पी न लेने के लिए प्रधानमंत्री मोदी की बार-बार आलोचना की जाती रही है। यहां तक कि जब पिछले साल दोनों समुदायों के बीच भड़की हिंसा हफ्तों तक चली, तब भी मोदी ने इसे लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

मोदी ने मणिपुर हिंसा के बारे में पहली बार 20 जुलाई को बात की, घटना के तीन महीने बाद, जब महिला के साथ दुर्व्यवहार का एक वीडियो वायरल हुआ।

मणिपुर में सांप्रदायिक हिंसा और विरोध का एक लंबा इतिहास रहा है। 1993 में, नागा और कुकी के बीच सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, जैसा कि आज भी है। इसे दबाने के लिए तत्कालीन सरकार ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया था। अब तक मणिपुर में दस बार राष्ट्रपति शासन लगाए जाने का इतिहास रहा है। आखिरी बार 2001 में, जब तत्कालीन राज्य सरकार ने विधानसभा में अपना बहुमत खो दिया था।

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