न्यूज डेस्क – रायबरेली से विशेष रिपोर्ट
● कानून कहता है दुष्कर्म मामले में पीड़िता का बयान पर्याप्त है, लेखपाल को बचाने के लिए पुलिस ने रख दिया सभी कानून,नियम को ताख़ पर
● जब कानून कहता है कि दुष्कर्म पीड़िता का बयान ही पर्याप्त है, तो फिर पुलिस ने बयान को सबूत मानने से क्यों किया इनकार ?
● किसके दबाव में डलमऊ पुलिस ने दुष्कर्म की तहरीर को मारपीट में बदल दिया? क्या इस घटना के पीछे कोई राजनीतिक संरक्षण है ?
● जब महिला ने साफ तौर पर लेखपाल का नाम लिया, तो पुलिस ने एक सप्ताह तक मुकदमा दर्ज करने में देरी क्यों की? यह देरी किसको बचाने के लिए थी ?
● लेखपाल की पत्नी खुद 112 नंबर पुलिस लेकर पीड़िता के घर आई थी – क्या ये इस बात का संकेत नहीं है कि उसके पति पर शक था? फिर पुलिस ने इसे क्यों छिपाया ?
● पुलिस रिपोर्ट में “अच्छे संबंध” का हवाला देने का क्या मतलब है? क्या अब बलात्कार के मामलों में भी आरोपी और पीड़िता के रिश्ते की ‘केमिस्ट्री’ देखी जाएगी ?
● रात 10 बजे गांव के लोग पीड़िता के घर के आसपास क्या कर रहे थे? क्या वे वाकई गवाह हैं या इस साजिश में भागीदार ?
● पुलिस ने गांव वालों के आधार कार्ड जमा करके अपनी रिपोर्ट मजबूत की – क्या रायबरेली की पुलिस अब आधार कार्ड से न्याय तय करती है ?
● अगर महिला झूठ बोल रही थी, तो FIR दर्ज करने में देरी क्यों? और अगर सच बोल रही थी, तो अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं? दोनों ही स्थिति में पुलिस दोषी है- जवाब कौन देगा ?
● क्या अब गांव वालों के बयानों पर महिला की चीखों को खारिज कर देना पुलिस का नया पैमाना है ?
● जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक क्या खुद इस मामले की जांच की सिफारिश करेंगे? या फिर ये भी मामला सिर्फ “कागज़ी अफसरशाही” तक सीमित रह जाएगा ?
● मामले में तीसरा व्यक्ति आज भी अज्ञात है – लेकिन सवाल ये है कि पुलिस के लिए वो अज्ञात है, या सुरक्षित ?

रायबरेली। जिले की पुलिस को लगातार कानून के दायरे में रहकर नियमो का पालन करने की चेतावनी पुलिस अधीक्षक द्वारा दी जा रही है। पुलिस अधीक्षक ने कानून व्यवस्था सुधारने के लिए तमाम पुलिस कर्मियों का स्थानांतरण और लाइन हाजिर भी किया गया। खुद जिलाधिकारी ने भी आईजीआरएस पर सही रिपोर्ट लगाने की चेतावनी दी है। लेकिन डलमऊ की पुलिस है कि वह मनमानी करने पर उतारू है।
मामला थाना क्षेत्र के चक मलिक भीटी गांव का है । जहां ऊंचाहार तहसील में तैनात और उक्त गांव निवासी लेखपाल पंकज वर्मा रिंकू लोध और एक अन्य व्यक्ति पर गांव की ही एक महिला ने 10 जुलाई 2025 को शिकायत दर्ज करवाई थी बीती रात उक्त लोगों ने उसके घर में घुसकर दुष्कर्म करने का प्रयास किया और विरोध करने पर उसे और उसकी पुत्री को मारा पीटा।
जिसकी शिकायत उसने थाने पर की परंतु पुलिस ने उसकी रिपोर्ट नहीं दर्ज की। बल्कि महिला का कहना है कि पुलिस ने प्रार्थना पत्र बदलकर पूरे मामले को मात्र मारपीट की धाराओं में पंजीकृत कर दिया। थकहार कर उसने पुलिस अधीक्षक और जिलाधिकारी से इसकी शिकायत दर्ज करवाई । जहां पर पुलिस ने अपनी आईजीआरएस रिपोर्ट में यह लिख दिया कि आरोपी रिंकू लोध और आवेदिका के बीच में अच्छे संबंध थे और इसी को लेकर मारपीट हुई।
अब सवाल यह उठता है कि जब अच्छे संबंध थे तो मारपीट फिर किस बात की हुई? इसी रिपोर्ट में पुलिस ने पंकज वर्मा की पत्नी और आवेदिका के बीच भी अच्छा संबंध बताते हुए यह लिख दिया कि दोनों के बीच में अच्छे संबंध हैं और लेखपाल पंकज वर्मा की पत्नी के साथ पंकज वर्मा लेखपाल का मुकदमा चल रहा है। इसलिए उसका नाम रंजिशवश लिखा दिया गया। जबकि पीड़ित महिला का कहना है कि लेखपाल पंकज वर्मा की पत्नी खुद इस घटना की रिपोर्ट में पंकज वर्मा का नाम सामने आने पर 112 नंबर की पुलिस लेकर उसके घर आई थी और जानकारी की थी की क्या आखिरकार यह बात सही है कि उसका पति पंकज वर्मा घटना के दिन उसके घर पर आया था। महिला ने उसे वक्त भी अपनी सारी बात 112 नंबर पुलिस और लेखपाल की पत्नी को बताई। लेकिन पुलिस ने लेखपाल की पत्नी से आवेदिका के संबंध और मार्च के महीने में एक कार्यक्रम के दौरान पंकज वर्मा के परिवार और पीड़ित महिला के बीच हुए झगड़े को आधार बनाकर सारा मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया।
यह भी बताते चले की पुलिस ने इस सबके बाद भी इस पूरी घटना की रिपोर्ट भी एक सप्ताह बाद मारपीट में दर्ज की। जबकि इस तरह के मामले में हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट और कानूनन यह नियम है की तहरीर मिलते ही मुकदमा पंजीकृत किया जाए उसके बाद पीड़ित महिला का मेडिकल और न्यायालय में बयान करने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए और दुष्कर्म जैसे प्रयास के मामले में महिला का बयान ही काफी है किसी भी अन्य साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है। लेकिन डलमऊ पुलिस ने इस पूरे मामले में जहां एक तरफ महिला की अस्मत को लूटने वाले लोगों को संरक्षण दिया। वहीं खुद महिला की अस्मत को पूरे गांव में लुटवा भी डाला।
इस मामले में जब डलमऊ की पुलिस से जानकारी की गई तो उसने बताया कि गांव के लोगों ने अपना बयान और आधार कार्ड दे रखा है जिससे कि यह पूरा मामला झूठा साबित होता है।
यहां यह भी बताते चले की पुलिस ने गांव वालों के बयान को ही आधार मान लिया। जबकि महिला का कहना है कि रात के 10:00 बजे की इस घटना में आखिरकार गांव वाले उसके घर के भीतर कर क्या रहे थे ? जिन लोगों ने इस मामले में गवाही दी है की मौके पर कोई नहीं था इसमें ऐसा तो नहीं की ये लोग भी इस साजिश में साथ में शामिल रहे हो।
महिला ने जिलाधिकारी से इस मामले की एक बार फिर से जांच करवाने की बात कही है। उसने कहा है कि इन समस्त लोगों की भी जानकारी की जाए कि आखिरकार क्या वजह थी की रात के 10:00 बजे यह समस्त गांव वासी उसके घर के बाहर घटना के होने का इंतजार कर रहे थे। क्योंकि गांव का माहौल ऐसा है कि रात में 8:00 बजे के बाद सभी लोग अपने-अपने घरों में जाकर सो जाते हैं। लेकिन 10 और 11:00 बजे की घटना के घटित होने का इंतजार क्यों उसके घर के बाहर झुंड बनाकर कर रहे थे। उसने यह भी कहा कि एक अज्ञात व्यक्ति जिसकी अभी तक शिनाख्त नहीं हो पाई है। पुलिस ने उसके बारे में भी कुछ नहीं बताया कि आखिरकार वह गांव का कौन सा व्यक्ति था जो इन दोनो का सहयोगी था।
महिला का कहना है कि हो सकता है कि यही वह व्यक्ति हो जो इन सबको अपने पाक साफ होने का सबूत पुलिस के सामने प्रस्तुत करवा रहा हो।
महिला ने जिलाधिकारी से शिकायत की है की सभी आधारकार्ड और गवाही देने वालों को पूछताछ के लिए सामने लाया जाए क्योंकि उसका कहना है कि हो सकता है लेखपाल पंकज वर्मा और रिंकू लोध के साथ गांव वालों ने इस घटना को अंजाम दिलाने का प्रयास किया हो। इसलिए इस मामले की जांच अन्य थाने या अन्य अधिकारी से करवाई जाए। क्योंकि कभी भी गांव वाले और आरोपी उसके ऊपर इस मामले को खत्म करने के लिए हमला भी कर सकते हैं।
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