विशेष संवाददाता अर्चना पाण्डेय की रिपोर्ट
गोरखपुर : विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में आयोजित शोध संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रोफेसर अलका पाण्डेय ने कहा कि अर्थव्यवस्था में किसानों की भूमिका बढ़ाने की जरूरत है। जहाँ सरकार अपनी प्राथमिकता में किसानों को रखती है वहाँ स्थाई एवं समावेशी विकास होता है। प्रेमचंद ने सन 1936 में ही किसान जीवन की महागाथा लिख दी थी। गोदान एक ऐसा प्रकाश स्तंभ है जिसके आलोक में हम अपने वर्तमान का मूल्यांकन कर सकते हैं. गन्ना किसानों पर शोध कार्य निश्चय ही नई जानकारी से समृद्ध करने वाला होगा।
हिंदी विभाग के शोधार्थी राजू कुमार मौर्य ने राजू कुमार मौर्य ने ‘गोदान में किसान जीवन और गन्ना किसान’ विषयक गंभीर शोध पत्र प्रस्तुत किया। किसान जीवन की चुनौतियों विशेष कर गन्ना किसान के जीवन में आने वाली दुश्वारियों को रेखांकित किया। सरदार नगर सरैया चीनी मिल के खस्ता हाल स्थिति एवं गन्ना किसानों के बकाया भुगतान, मूल्य निर्धारण एवं बिचौलियों इत्यादि से संबंधित विषय को तथ्य के साथ प्रस्तुत किया। उनके इस अध्ययन का आधार मुख्यतः प्रो. राजेश मल्ल की पुस्तक एवं इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री रही।
कार्यक्रम का संचालन प्रोफेसर प्रत्यूष दुबे एवं आभार ज्ञापन प्रोफेसर विमलेश मिश्र ने किया।
इस अवसर पर हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर कमलेश कुमार गुप्त, दीपक प्रकाश त्यागी, बुद्ध पीजी कॉलेज के प्रोफेसर राजेश कुमार सिंह, प्रोफेसर गौरव तिवारी तथा फाजिलनगर पीजी कॉलेज के डॉ बृजेश जी समेत विभाग के सभी शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित रहे. शोध पत्र की प्रस्तुति के बाद शोधार्थियों ने प्रस्तोता ने विविध प्रश्न किया।
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