रतन गुप्ता उप संपादक———नेपाल में लैंगिक हिंसा के खिलाफ संघर्ष में सबसे प्रभावकारी उपाय यही है कि समुदाय से ही आवाज़ उठे और यह आवाज़ प्रत्येक घर से शुरू होकर समाज तक पहुँचे। यही साझा भावना सोमवार को नेपालगंज में आयोजित एक कार्यक्रम में स्पष्ट रूप से सामने आई।लुम्बिनी प्रदेश सरकार के सामाजिक विकास मंत्रालय के आयोजन तथा नारी विकास केन्द्र, बाँके के समन्वय में आयोजित इस कार्यक्रम में “लैंगिक हिंसा निवारण, लैंगिक समानता एवं समावेशीकरण” विषयक तालिम का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम के उद्घाटन अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि जब तक लोग अपने घरों से ही लैंगिक हिंसा के विरुद्ध बोलना शुरू नहीं करेंगे, तब तक समाज में ठोस और प्रभावकारी परिवर्तन संभव नहीं है।मुख्य अतिथि तथा तालिम की पहलकर्ता लुम्बिनी प्रदेश सांसद मीना कुमारी श्रेष्ठ ने उद्घाटन भाषण में कहा,“लैंगिक हिंसा निवारण के लिए बनाये गये नीतियों को व्यवहार में उतारना अत्यन्त आवश्यक है। समाज की जटिल समस्याओं को पहचानकर ही यह तालिम आयोजित किया गया है।”लुम्बिनी प्रदेश की वरिष्ठ महिला विकास अधिकृत सम्झना कुमारी सुवेदी की अध्यक्षता में सम्पन्न इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा,“महिलाओं को पूर्व की तुलना में कुछ हद तक अधिकार तो मिले हैं, लेकिन व्यवहारिक रूप में अब भी अनेक चुनौतियाँ बनी हुई हैं। आगामी दिनों में आपस में संवाद और जागरूकता के माध्यम से ही महिलाओं को अधिकारों के प्रति और सशक्त बनाया जा सकता है।”नेपालगंज उपमहानगरपालिका की महिला तथा बालबालिका शाखा प्रमुख पवित्रा कुमारी पुरी ने कहा,“लैंगिक समानता और समावेशीकरण जैसे विषय आज और भी जटिल होते जा रहे हैं। इन पर गंभीरता से काम करते हुए वर्तमान प्रयासों को अधिक प्रभावी बनाना होगा।”कार्यक्रम में नारी विकास केन्द्र की कोषाध्यक्ष रचना श्रेष्ठ, जिल्ला प्रहरी कार्यालय की महिला, बालबालिका तथा जेष्ठ नागरिक सेवा केन्द्र की प्रमुख प्रहरी निरीक्षक शिवा थापा, तथा क्रियाशील पत्रकार महिला बाँके की अध्यक्ष साबित्री गिरी ने भी अपने विचार रखे।यह तालिम नेपालगंज उपमहानगरपालिका, कोहलपुर नगरपालिका, खजुरा, जानकी, बैजनाथ तथा राप्तीसोनारी गाउँपालिका समेत ६ पालिकाओं से आई ८० महिलाओं की सहभागिता में सम्पन्न हुआ।सभी सहभागियों ने इस बात पर बल दिया कि लैंगिक हिंसा की रोकथाम केवल तभी संभव है जब प्रत्येक व्यक्ति अपने घर से आवाज़ उठाना शुरू करे और इसे समुदाय तक पहुँचाया जा
रतन गुप्ता उप संपादक