महाराजगंज से उप संपादक रतन गुप्ता की रिपोर्ट
भारत नेपाल के सीमा क्षेत्र सोनौली ,नौतनवा ,भगवानपुर ,खनुवा ठुठीबारी क्षेत्र से सटे भारत नेपाल सरहद पर इन दिनों स्टीम राइस की तस्करी काफी तेज हो गई है। नेपाल में चावल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में तस्कर भारी मुनाफा कमाने के लिए अवैध तरीके से चावल को नेपाल भेजना शुरू कर दिया है।
बार्डर पर कड़ी सुरक्षा के बाद तस्करी जारी है ।
क्षेत्र के लक्ष्मीपुर खुर्द, रेंगहिया, बहुआर, चालीस कड़िया, शीतलापुर गांव से सटी नेपाल सरहद तो तस्करों के लिए मुफीद साबित हो रही है। ऐसा नहीं है कि सुरक्षा एजेंसियां कार्रवाई नहीं करती हैं। लेकिन पूरी तरह से तस्करी पर अंकुश न लग पाना जिम्मेदारों के खिलाफ कई सवाल खड़ा कर रहा है।
नेपाल में पूर्वांचल के स्टीम राइस की मांग काफी बढ़ गई है। स्टीम राइस की अच्छी कीमत मिलने के कारण जिले के फरेंदा, गोरखपुर व बस्ती मंडल के कई राइस मिलर इसे तैयार करते हैं। वहीं तस्कर इन मिलरों से चावल खरीदकर निचलौल शहर के घोड़हवा चौराहा, बरगदवा, कुंवारीसती, टिकुलहिया, टोंगरी समेत सीमावर्ती क्षेत्र के छीतौना, गदइला, लक्ष्मीपुर खुर्द, रेंगहिया, बहुआर बाजार आदि जगहों पर बने गोदामों में डंप कर रहे हैं।
फिर मौके मिलते ही सरहद पार कर नेपाल के मंडियों में भेज दे रहे हैं। स्टीम राइस की कीमत भारत में 48 से 51 रुपये प्रति किलो है। वही चावल नेपाल में पहुंचते ही 100 रुपये किलो हो जा रहा है। यानी एक क्विंटल चावल पर तस्कर दोगुना लाभ कमा रहे हैं। चावल बरामदगी से यह साफ हो गया कि सरहद पर तस्करों के हौसले बुलंद हैं। भारत नेपाल की खुली सरहद का लाभ उठाकर तस्कर प्रतिबंधित सामानों की तस्करी कर मालामाल हो रहे हैं।
निचलौल कस्टम अधीक्षक केएन सिंह ने बताया की सरहद पर स्टीम चावल सहित अन्य अवैध सामानों की तस्करी रोकने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के साथ टीम लगातार प्रयास कर रही है। हालांकि स्टीम चावल की तस्करी करने वाले तस्कर जीएसटी बनवाकर घरों में रख ले रहे है। ऐसे में तस्करों के पास चावल से संबंधित कागजात होने के चलते टीम कार्रवाई नहीं कर पाती है।
ऐसे तैयार करते हैं स्टीम चावल
व्यापारी ने कहा की स्टीम चावल तैयार करने के लिए लगभग सभी राइस मिलों में ब्वायलर की व्यवस्था है। धान को इसमें स्टीम से पकाया जाता है। उसके बाद इस धान की कुटाई की जाती है और उसे पैक कर बाहर भेजा जाता है। स्थानीय बाजार में भी इस चावल की मांग है। इस चावल की अच्छी कीमत भी मिलती है।
स्वास्थ्य के लिहाज से भी बेहतर माना जाता है यह चावल
ने बताया की स्टीम चावल को स्वास्थ्य के लिहाज से भी काफी बेहतर माना जाता है। छोटे-छोटे पैकेट में पैककर इसे फुटकर में भी बेचते हैं। मधुमेह के रोगी भी इस चावल का उपयोग करते हैं। कई लोग सामान्य रूप से खाने में इसी चावल का उपयोग करते हैं। नेपाल में स्टीम चावल की खूब मांग बढ़ी है। इस समय नेपाल में इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है। पिछले करीब एक महीने से सरहद पर तस्करी बढ़ी गई है।
सरहद पर बरामद हो चुका है स्टीम राइस
-8 अगस्त को निचलौल कस्टम टीम ने नेपाल भेजी जा रही तीन पिकअप चावल की खेप को सरहद से सटे गांव लक्ष्मीपुर खुर्द से बरामद कर एक शख्स को पकड़ा था।
-16 जुलाई को एसएसबी टीम ने शीतलापुर गांव से सटे सरहद के पास से नेपाल भेजी जा रही 10 बोरी चावल की खेप को बरामद की थी।
-24 जून को एसएसबी टीम ने रेंगहिया गांव के पास से नेपाल भेजी जा थी 12 बोरी चावल की खेप को बरामद की थी।
-14 मई को एसएसबी टीम ने शीतलापुर और टड़हवा गांव के पास से नेपाल भेजी जा रही 12 बोरी चावल की खेप को बरामद की थी।
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