संवाददाता अंगद कुमार प्रजापति
गोरखपुर।”विस्थापन एक वरदान है जब चुना जाता है, और एक दंश भी है जब उसे लादा जाता है”
नाटक “गिरमिट सैयाही” का ये संवाद दर्शकों को सदियों से चली का रही एक कड़वी सच्चाई से अवगत कराता है, जिसका मंचन शहर की पुरातन और अग्रणी नाट्य संस्था रूपान्तर नाट्य मंच द्वारा रविवार की शाम गोरखपुर विश्वविद्यालय के संवाद भवन में हुआ। रूपान्तर विगत कई वर्षों से अपनी नई और मौलिक नाट्य प्रस्तुतियों के लिये चर्चित है, विशेष रूप ये नाटक संस्था के ही सदस्य कलाकारों द्वारा लिखे जाते हैं। संस्था के ही डॉ. आनन्द पाण्डेय द्वारा लिखित यह नाटक विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित हुआ। सैकड़ों साल पहले अंग्रेजों द्वारा भारत और खासकर उत्तर प्रदेश और बिहार से त्रिनिदाद, गुयाना, फिजी, सूरीनाम, मॉरीशस, टोबैगो जैसे देशों में एग्रीमेंट के नाम पर धोखे से ले जाए गए मजदूरों की गुमनाम अचर्चित गाथा और लाखों भारतीयों पर हुए यंत्रणाओं को दृष्टि में रखकर प्रवासन के स्वरूप को संवादों और दृश्य बंधों में ग्राफ के माध्यम से दर्शाने का प्रयोग बेहद सफल रहा। एक जैसे वस्त्र विन्यास और कलाकारों द्वारा विशेष तरह के अलग अलग ग्राफ के निर्माण के द्वारा कथानक में नाटकीयता बनी रही और दर्शकों ने एक अलग तरह का अनुभव किया, दर्शकों ने इस प्रयोग को सराहना के साथ स्वीकार किया। नाटक में दृश्यों के अनुरूप लोक गीतों और लोक नृत्यों के प्रयोग ने दर्शकों को तालियां बजाने पर विवश कर दिया। सोहर, बिदेसिया, बिरहा और पँवरिया, धोबियउवा नाच, चमरउवा नाच जैसी पूर्वांचल की लोक विधाओं का प्रयोग विशेष सराहनीय रहा।
कार्यक्रम की शुरूवात अंग्रेजी विभाग के अध्यक्ष प्रो.अजय कु.शुक्ला, प्रो. रामदरश राय ने दीप प्रज्जवलन से की जिसमें डॉ वेद प्रकाश पाण्डेय, आमोद राय शामिल रहे। प्रोफेसर शुक्ला ने अपने स्वागत वक्तव्य में कलाकारों का उत्साहवर्धन किया।
इस नाटक का निर्देशन अपर्नेश मिश्र व सुनील जायसवाल ने किया, साइको फिजिकल प्रारूप के इस नाटक को परम्परागत नाटकों से अलग निर्देशन करने के लिए इनकी विशेष सराहना हुई। मंच पर विभिन्न भूमिकाओं में आलोक सिंह राजपूत, हरिकेश पाण्डेय, रितिका सिंह, निकिता श्रीवास्तव, चंदन यादव, सोमनाथ, विक्की, शिवांगी ने शानदार अभिनय किया। संगीत आदित्य राजन का था जिसमें पवन कुमार, शगुन श्रीवास्तव और हर्ष ने अपने सुन्दर गायन से दर्शकों को मोहित किया। प्रकाश व्यवस्था और रूपसज्जा निशिकांत पाण्डेय की थी। ध्वनि व्यवस्था रवि प्रताप सिंह ने सम्हाली। कार्यक्रम के अंत में रूपान्तर की अध्यक्ष डॉ अमृता जयपुरियार ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
नाटक में डॉ आद्या प्रसाद द्विवेदी, प्रदीप सुविज्ञ, डॉ नित्यानंद श्रीवास्तव, डॉ रामदेव शुक्ल, रविन्द्र रंगधर, प्रेम पराया, आसिफ ज़हीर, श्रीनारायण पाण्डेय, अजित प्रताप सिंह, राजेश वर्मा, दुर्गेश पाण्डेय आदि उपस्थित रहे।