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लुंबिनी प्रदेश के पूर्व मंत्री एसआईसी गुप्ता के खिलाफ महिला हिंसा की शिकायत दर्ज

नेपाल से जीत बहादुर चौधरी का रिपोर्ट
26/09/2024

काठमाण्डौ,नेपाल – लुंबिनी प्रांत के पूर्व सामाजिक विकास मंत्री और जनमत पार्टी प्रांतीय विधानसभा के सदस्य चंद्रकेश (सीके) गुप्ता के खिलाफ महिलाओं के खिलाफ हिंसा की शिकायत दर्ज की गई है।

उनकी पत्नी कांति गुप्ता ने हिंसा से जुड़ी शिकायत दर्ज कराई है ।
गुप्ता और उनके परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ मानसिक और शारीरिक हिंसा का आरोप लगाते हुए और कार्रवाई की मांग करते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग और रूपनदेही में जिला प्रशासन कार्यालय में शिकायत दर्ज कराई गई है।

नवलपरासी के प्रतापपुर ग्रामीण नगर पालिका-9 निवासी कांति कुमारी गुप्ता की शादी छह साल पहले हिंदू धर्म के अनुसार रूपनदेही के लुंबिनी सांस्कृतिक नगर पालिका-7 निवासी गुप्ता से हुई थी। 

पीड़िता कांति द्वारा शिकायत दर्ज कराने के बाद कहा गया कि सीके उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित कर रहा था और उसकी सास उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रही थी, इस घटना को सुलझाने के लिए रूपनदेही जिला प्रशासन कार्यालय में चर्चा की गई, लेकिन विवाद का समाधान नहीं हुआ ।

पिछले साल जब राष्ट्रीय महिला आयोग में इसी तरह की शिकायत दर्ज की गई थी तो सीके ने लिखित वादा किया था कि वह आगे से ऐसी गलती नहीं करेंगे ।

वह रूपनदेही के क्षेत्र संख्या 5 (2) से निर्वाचित प्रांतीय विधानसभा के सदस्य हैं।

सीके और कांति के दो बच्चे हैं। बेटी 4 साल की और बेटा 19 महीने का है ।

कांति ने अपने साथ दुर्व्यवहार करने वाले पति, सास और ननद के खिलाफ महिला हिंसा के तहत कार्रवाई की मांग की है ।

प्रतिक्रिया पाने के लिए बार-बार प्रयास करने के बावजूद गुप्ता ने फोन नहीं उठाया।

घटना को सुलझाने के लिए जिला प्रशासन कार्यालय रूपनदेही में मुख्य जिला अधिकारी गणेश आर्यल, रूपनदेही डीएसपी मनोहर भट्ट व अन्य की मौजूदगी में 3 घंटे तक चर्चा हुई ।

कांति के पिता प्रेमचंद्र गुप्ता ने दावा किया कि सांसद ने पुलिस प्रशासन के प्रभाव में आकर उनकी बेटी को प्रशासनिक कार्यालय में बुलाया ।

यह कहते हुए कि कांति ने प्रशासन कार्यालय में हिंसा की शिकायत दर्ज कराई है, उन्होंने स्पष्ट किया कि उसके अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए और उसके बाद ही तलाक की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।

रूपनदेही के मुख्य जिला अधिकारी गणेश आर्यल ने कहा कि अनुरोध प्राप्त होने के बाद, उन्होंने मामले को सुलझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों पक्षों को समझौता करने या न करने या अन्य कानूनी रास्ते चुनने का अधिकार है।

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