*देश के मठाधीशों व सनातनियों में आक्रोश व्याप्त
गोरखपुर। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा मठ व मठाधीशों को लेकर की गई टिप्पणी सनातन धर्म के मर्यादा पर प्रहार है। यह हर सनातनी के लिए असहनीय है। उक्त बातें अखिल भारतीय मानव उत्थान सेवा संस्थान के महामंडलेश्वर राम बालक दास त्यागी ने कही। उन्होंने कहा कि इससे सनातन धर्म की भावनाएं आहत हुई है आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा की गई धार्मिक व्यवस्था के अन्तर्गत मठों को सनातन संस्कृति के उर्जा के रूप में स्थापित किया गया था। प्राचीन काल से ही मठ शिक्षा, गौ सेवा एवं सामाजिक सेवा के प्रमुख केन्द्र रहे है। उन्होंने कहा कि मठ व मठाधीश शब्द हिंदू समाज के लिए अत्यंत पवित्र एवं आस्था व श्रद्धा का केंद्र रहा है। मठाधीश शब्द की आड़ में जिस तरह पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा मठाधीश की तुलना माफियाओं से की गई जो करोड़ों सनातनियों का श्रद्धा का न केवल मान मर्दन किया गया। बल्कि एक वर्ग विशेष की तुष्टिकरण को बढ़ावा देने का सोची समझी साजिश के तहत किया गया है।मठ व गुरुकुल परम्परा से हमारी आस्था भगवान श्रीराम व श्रीकृष्ण भी जुड़े हैं। देश की स्वतंत्रता के आंदोलन से लेकर श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन हो चाहे शक हुणों का काल हो या मुगल काल,हमारे मठाधीशों ने ही गौ गंगा गायत्री व सनातन धर्म की रक्षा के लिए सर्वप्रथम अपनी आहुति दी। मठ सदा से ही त्याग व समरसता का केंद्र रहा है। गौ रक्षक मठ का मठाधीश जब मुख्यमंत्री होगा तो लाजमी है की सनातन विरोधियों की बेचैनी बढ़ेगी। जिस समाज का हितैषी बन कर उनके वोटों के बल पर सरकार बनाने का जो सपना पाला जा रहा था उसे गौ रक्षक मठाधीश ने तार तार कर दिया तो मानसिक दिवालियापन की बिमारी होना स्वाभाविक है। एक संन्यासी के नेतृत्व में सरकार चलने से धर्म विरोधी ताकतों को घुटन होना स्वाभाविक है। पूर्व मुख्यमंत्री अपने मर्यादा में रहे। मर्यादा की सीमाएं लांघने से देश के मठाधीशों व सनातनियों में आक्रोश व्याप्त है। उनके इस बदजुबानी को संत समाज किसी भी रूप में बर्दाश्त नहीं करेगी।