नेपाल-भारत सीमा संवाददाता जीत बहादुर चौधरी की रिपोर्ट
काठमाण्डौ,नेपाल। बढ़ते हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच, भारतीय राज्य मणिपुर सरकार ने ‘इंटरनेट शटडाउन’ की घोषणा की और वहां के सात जिलों में इंटरनेट सेवाएं पूरी तरह से बंद कर दीं।
सरकार की ओर से जारी बयान के मुताबिक, बंद का उद्देश्य ‘राष्ट्र-विरोधी और असामाजिक तत्वों की योजनाओं और गतिविधियों को नियंत्रित करना’ और गलत सूचनाओं के प्रवाह और भीड़ को इकट्ठा होने से रोकना है।
सुत्रो के मुताबिक, सरकार ने वीएसएटी, ब्रॉडबैंड, वीपीएन सेवाओं समेत इंटरनेट और मोबाइल डेटा को ब्लॉक कर दिया है।
मणिपुर के पश्चिम और पूर्वी इंफाल, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिन, कांगपोखी और चुराचांदपुर में इंटरनेट सेवा निलंबित कर दी गई है।
स्थानीय प्रशासन ने वहां अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया है. पिछले शनिवार (16 नवंबर) से ही मणिपुर में उग्र प्रदर्शन के साथ हिंसा भड़क उठी है.।
7 नवंबर को जिरीबाम जिले से लापता एक ही परिवार के छह सदस्यों के शव मिलने के बाद मणिपुर में व्यापक विरोध प्रदर्शन और हिंसा भड़क उठी।
उस परिवार के एक सदस्य पर अपहरण के बाद हत्या का आरोप लगा है. उनके शव नदी में तैरते हुए पाए गए।
11 नवंबर को जिरीबाम के बोरोबेकरा थाना क्षेत्र में सशस्त्र बल (सीआरपीएफ) के जवानों के साथ कथित मुठभेड़ में 10 आदिवासी युवकों की मौत हो गई थी. उसी दिन चौकी के पास बने राहत शिविर से एक ही परिवार के 6 सदस्य लापता हो गए ।
हिंसा की पुनरावृत्ति के बाद पिछले साल मई से इंटरनेट बंद कर दिया गया है। पिछले सितंबर में सरकार ने पांच दिनों के लिए इंटरनेट बंद कर दिया था ।
मई से दिसंबर 2023 तक लगातार इंटरनेट ब्लैकआउट रहा जो मणिपुर में सबसे लंबा इंटरनेट ब्लैकआउट है।
अधिकार कार्यकर्ता इंटरनेट पर राज्य के प्रतिबंधों को समाप्त करने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बाधित न करने की मांग कर रहे हैं।
उनका कहना है कि भले ही इंटरनेट पर रोक लगाकर सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाए, लेकिन गलत सूचनाओं का प्रसार कम नहीं होगा।
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