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जलीय जीवों एवं वन्यजीव संरक्षण में समुदाय की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक”

गोरखपुर। भारतीय वन्यजीव संस्थान एवं शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान, गोरखपुर के संयुक्त तत्वाधान में नमामि गंगे परियोजना के अंतर्गत तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ मंगलवार को प्राणि उद्यान में किया गया। इसमें गंगा एवं गंगा की सहयोगी नदियों के जलीय जीवों के संरक्षण एवं संवर्धन पर चर्चा हुई।
मुख्य अतिथि मेयर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव ने कहा कि वन्यजीव संरक्षण में समुदाय की भागीदारी पर ध्यान केंद्रित करना की आवश्यक है। जब हम जल जीवों की सुरक्षा की बात करते हैं, तो हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समदुाय के लोग इस प्रकिया में शामिल हों। विशिष्ट अतिथि प्राणी उद्यान के निदेशक विकास यादव ने कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य उन महत्वपूर्ण तकनीकों और विधियों को साझा करना है, जो संकट में फंसी हुई जलीय प्रजातियों को बचाने और उनका पुनर्वासन करने में मददगार साबित होंगी। इसमें उपस्थित सभी पशु चिकित्सकों, उद्यान प्रबंधकों और वन अधिकारियों को उन कौशलों से लैस करेंगे जो इस महत्वपूर्ण कार्य को प्रभावी ढंग से अंजाम देने में सहायक होंगे।
प्राणि उद्यान के पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. योगेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह कार्यशाला केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ हम सब मिलकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठा सकते हैं। हमारे प्रयासों से न केवल जलीय प्रजातियों का संरक्षण संभव होगा, बल्कि यह भावी पीढ़ियों के लिए एक बेहतर पर्यावरण प्रदान करने में भी सहायक होगा।
कार्यशाला की संयोजक डॉ. संगीता एंगोम ने बताया गंगा एवं उसकी सहायक नदियों में विभिन्न जलीय जीवों का जीवन संकटग्रस्त होने लगा है। ऐसे में उनकी सुरक्षा में लगे लोगों को प्रशिक्षित किया जाना अति आवश्यक है।

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