रतन गुप्ता उप संपादक ——-नेपाल सहित सोनौली ,नौतनवा में होली के पहले बाजार में मिलावट का रंग शुरू हो गया है। धंधेबाजों ने मिलावटी पनीर और खोवा खपाने की तैयारी कर ली है। गोरखपुर जिले के पिपराइच कस्बे से धंधेबाज मिलावटी पनीर मंगाते हैं।उत्पादन से अधिक खपत होने के कारण मिलावटी पनीर और खोवा मंगाकर धंधेबाज मोटी कमाई करते हैं। इसे खाने से उल्टी, दस्त और फूड पॉइजनिंग हो सकता है।सूत्रों की मानें तो गुझिया बनाने के लिए मिलावटी खोवा धंधेबाजों तक पहुंचाया जा रहा है। शहर में 330 से 340 रुपये प्रति किलो पनीर बिक रहा है। जानकारों की मानें, एक किलो पनीर बनाने के लिए कम से कम पांच लीटर दूध की जरूरत पड़ती है। एक लीटर दूध 60 रुपये में आता है।एक किलो पनीर बनाने के लिए 300 रुपये से अधिक दूध लगता है। प्रोसेसिंग चार्ज अलग से शामिल है। ऐसे में पनीर की न्यूनतम लागत 300 से 350 रुपये प्रति किलो पहुंच जाती है। ऐसे में सस्ते पनीर में मिलावट की संभावना रहती है।पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 3000 लीटर रोजाना दूध का उत्पादन होता है। विभागीय योजनाओं से 21 डेयरी का संचालन होता है। शहर में रोजाना दुकानों से घरों तक करीब तीन लाख लीटर दूध की खपत होती है। इसकी पूर्ति के लिए धंधेबाज व्यवस्था करना शुरू कर दिए हैं।करीब 200 प्रति किलो के भाव से बिकने वाला पनीर पाउडर के दूध वाला होता है। बाजार में एक ही सामग्री की तीन से चार वैरायटी अलग-अलग मूल्य पर बिक रही है। मूल्य के हिसाब से क्वालिटी का दावा किया जा रहा है। लेकिन, शुद्धता की गारंटी पर भरोसा करना अकलमंदी नहीं है।मिठाई में पेड़ा, बर्फी, लड्डू अलग-अलग रेट में उपलब्ध हैं। जानकारों की मानें तो मिलावट का खेल सभी में है। किसी में कम तो किसी में ज्यादा है। होली में खोवा, पनीर और घी की मांग बढ़ जाती है। त्योहार के प्रसिद्ध पकवान गुझिया में भी धंधेबाज मिलावट करने की तैयारी में हैं। मोटे मुनाफे के चक्कर में धंधेबाजों को लोगों की सेहत की बिल्कुल परवाह नहीं है।
रतन गुप्ता उप संपादक 1/3/2025