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पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां में विश्व हिन्दी दिवस मनाया गया

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।

पंडित भृगुनाथ चतुर्वेदी कालेज आफ लां बड़हलगंज गोरखपुर में विश्व हिन्दी दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अभिषेक पाण्डेय ने की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा को विश्व स्तर पर प्रचारित और प्रसारित करने के लिए 10 जनवरी 2006 को भारत सरकार ने विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया। तभी से आज के दिन विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिन्दी विश्व में 1,117 मिलियन वक्ताओं द्वारा बोली जाने वाली तीसरे नंबर की भाषा है तथा भारत में बोली जाने वाली भाषाओं में पहले नंबर पर है। हिन्दी भाषा की खासियत यह है कि व्यक्ति अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति हिंदी भाषा में बहुत ही सरल और सहज तरीके से करने में खुद को समर्थ महसूस करता है। कालेज के मुख्य नियन्ता चन्द्र भूषण तिवारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारत की पहचान हिंदी भाषा से है “हिन्दी है हम वतन है,हिन्दोस्तां हमारा”। हिन्दी भाषा को सशक्त बनाने में कबीर,सूर, तुलसी, जायसी, रामधारी सिंह दिनकर, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, राहुल सांकृत्यायन, कालीदास, बाणभट्ट अपना योगदान दिया है।अनेक महापुरुषों ने विभिन्न कालों में हिंदी भाषा में पद्यांश, गद्यांश , कहानी, महाकाव्य आदि की रचना कर इसे सशक्त बनाया। भारतीय संविधान के अनुच्छेद -343(1) द्वारा इसे राजभाषा घोषित किया गया है। जिसकी लिपि देवनागरी है। भारत सरकार को हिंदी भाषा के विश्व स्तर पर प्रचार और प्रसार के लिए राष्ट्र भाषा के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। असिस्टेंट प्रोफेसर फकरुद्दीन ने कहा कि हिन्दी भारत में जन जन की बोली जाने वाली भाषा है। भोजपुरी हिन्दी भाषा की बेटी के रूप में उत्तर भारत में रची बसी है। असिस्टेंट प्रोफेसर आशीष कुमार गुप्ता ने बताया कि हिन्दी हिन्दुस्तान की आत्मा है। विश्व के लगभग सभी देशों में रहने वाले भारतीय आपस में मिलने पर अपनी हिंदी भाषा में ही बात चीत करते जो उन्हें एक माला में पिरोने का कार्य करती है। असिस्टेंट प्रोफेसर प्रीतीश कुमार तिवारी ने संबोधित करते हुए कहा कि हिन्दी से ही विश्व में भारत को जाना जाता है।यह हमारी मातृभाषा है। जिसके पुनरोत्थान के लिए हम सभी को सतत् प्रयासरत रहना चाहिए और इसको विश्व पटल पर प्रभावशाली बनाने हेतु भारत सरकार को राष्ट्रभाषा के रूप में घोषित करना चाहिए ।इस कार्यक्रम का संचालन आनन्द द्विवेदी ने किया।
जिसमें सूर्यांश कौशिक, दीपेश श्रीवास्तव, हर्षित भारद्वाज, अंशिका, दीपक चौरसिया, मनीष श्रीवास्तव,श्रुति माथुर, विकास पाण्डेय,अशोक कुमार,फजरुल हुसैनी,नियाज़ अहमदी, दीपिका चतुर्वेदी, बृजेश गुप्ता,नीरज त्रिपाठी आदि ने अपने विचार साझा किए।

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