spot_img
spot_img
HomeUncategorizedमलिन बस्तियों में एड्स के प्रति लोगों को किया जा रहा जागरूक

मलिन बस्तियों में एड्स के प्रति लोगों को किया जा रहा जागरूक

संवाददाता अंगद कुमार प्रजापति

जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी के निर्देश पर दस इलाकों में घूम रही है एलईडी वैन

लक्षण दिखने पर त्वरित जांच का दिया जा रहा है संदेश

गोरखपुर।‘‘एक महीने से अधिक लगातार बुखार आना, तेजी से वजन घटना और एक महीने से अधिक दस्त आना एड्स के लक्षण हैं। इनके अलावा लगातार खांसी, चर्म रोग, मुंह एवं गले में छाले होना, लगातार सर्दी एवं जुकाम, लसिका ग्रंथियों में सूजन व गिल्टी होना, याददाश्त खोना, मानसिक क्षमता कम होना और शारीरिक शक्ति का कम होना एड्स के सामान्य लक्षणों में शामिल है । अगर किसी को भी यह लक्षण दिखे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जांच कराएं।’’ इन संदेशों के साथ शहर की दस मलिन बस्तियों के लोगों को एड्स के प्रति जागरूक किया जा रहा है। जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ गणेश यादव के निर्देश पर एलईडी वैन के जरिये उन्नीस सितम्बर तक जनजागरूकता का यह कार्यक्रम प्रस्तावित है।

जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी डॉ यादव ने बताया कि एलईडी वैन के साथ प्रत्येक कार्यदिवस पर कार्यक्रम से जुड़े काउंसलर्स की ड्यूटी लगाई गई है। यह वैन अमरुद बाग, बड़ा महेवा, छोटा महेवा, मलिन बस्ती, मंशा बाग, रामलीला मैदान, दरिया चक, सिधारीपुर और बसंतपुर सराय के लोगों के बीच एचआईवी और एड्स के प्रति जागरूकता के संदेश प्रसारित कर रही है। वैन के जरिये लोगों को इस बीमारी से संबंधित छोटी सी फिल्म भी दिखाई जा रही है। बीते सत्रह सितम्बर को इस वैन को डॉ यादव ने हरी झंडी दिखा कर रवाना किया।

एलईडी वैन से प्रचार प्रसार के अतिरिक्त संबंधित स्टॉफ भी लोगों को संदेश दे रहे हैं कि एचआईवी संक्रमण की आखिरी अवस्था को एक्वायर्ड इम्युनो डिफिशियंसी सिंड्रोम (एड्स) कहते हैं। यह ऐसी अवस्था है जिसमें एचआईवी के साथ साथ कई अन्य बीमारियों के लक्षण दिखने लगते हैं। इस अवस्था में मनुष्य बीमारियों से लड़ने की ताकत पूरी तरह से खो देता है। एड्स एक लाइलाज बीमारी है। पूर्ण और सही जानकारी ही इसका एक मात्र उपचार है। एचआईवी की समय से पहचान कर एंट्री रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट (एआरटी) औषधियों का सेवन किया जाए तो मरीज अच्छा, लम्बा और स्वस्थ जीवन जी सकता है।

एलईडी वैन के संचालन में उप जिला क्षय उन्मूलन अधिकारी डॉ विराट स्वरूप श्रीवास्तव, चिकित्सा अधिकारी डॉ सुनील सिंह, टीबी एचआईवी कोआर्डिनेटर राजेश सिंह, पीपीएम समन्वयक अभय नारायण मिश्रा, मिर्जा आफताब बेग, आईसीटीसी काउंसलर अर्चना श्रीवास्तव, कार्यक्रम से जुड़े सिद्धार्थ राय, ममता सिंह, कविता तिवारी, विवेकानंद मिश्र, टीआई अशोक सिंह और एसटीआई काउंसलर विजय कांत त्रिपाठी प्रमुख तौर पर सहयोग दे रहे हैं।

जिले की स्थिति

जिला एड्स नियंत्रण अधिकारी ने बताया कि गोरखपुर में इस समय एड्स के 5646 मरीज हैं। इनमें से 52 मरीज ऐसे हैं जिन्हें एड्स के साथ साथ टीबी भी है। स्वास्थ्य विभाग प्रत्येक टीबी मरीज की एचआईवी जांच और प्रत्येक एचआईवी मरीज की टीबी जांच अवश्य करवाता है। इन दोनों बीमारियों से संक्रमित मरीज की समय से जांच और देखभाल नितांत जरूरी है। थोड़ी सी लापरवाही ऐसे मरीजों की जटिलताएं बढ़ा सकती है।

ऐसे नहीं फैलता है एड्स

डॉ यादव ने बताया कि ह्यूमन इम्युनो डिफिशियंसी वायरस (एचआईवी) शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को धीरे धीरे कम करता है और समय से पहचान कर उपचार न शुरू करने से इस क्षमता को नष्ट भी कर देता है । सिर्फ मनुष्य में पाए जाने वाले इस वायरस का एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण संक्रमित रक्त या असुरक्षित यौन सम्पर्क के जरिये ही हो सकता है। ऐसे मरीज के साथ रहने, खाने, सोने, हाथ मिलाने, चुम्बन करने या उसके इस्तेमाल किये गये बिस्तर व शौचालय का इस्तेमाल करने से संक्रमण नहीं होता है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

error: Content is protected !!