—संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए स्कॉलरशिप योजना को फिर से शुरू किया गया है. अब हजारों की संख्या में छात्रों को संस्कृत पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिलेगी. उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य में संस्कृत भाषा को पुनर्जीवित करने और उसे आधुनिक युग के साथ जोड़ने के लिए 23 साल बाद संस्कृत छात्रवृत्ति योजना को फिर से शुरू किया है. इस योजना के तहत, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों सहित राज्य के 69,195 संस्कृत छात्रों को 586 लाख रुपए की छात्रवृत्ति उनके बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जाएगी. पहले यह छात्रवृत्ति केवल 300 छात्रों को ही मिलती थी और इसके लिए उम्र सीमा भी निर्धारित थी. अब इसे हटा दिया गया है, जिससे अधिक से अधिक छात्र इसका लाभ उठा सकें.क्या कहना है आचार्या कंचन सिंह का इस पहल पर चर्चा के लिए लोकल18 की टीम ने आचार्या कंचन सिंह से बात की, तो उन्होंने संस्कृत के महत्व पर जोर देते हुए बताया कि संस्कृत पढ़ना केवल एक विषय नहीं है, बल्कि एक जीवनशैली और व्यवहार का अभ्यास है. संस्कृत में ज्ञान केवल भाषाई नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत समृद्ध है. आचार्या ने कहा, ‘गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली हमें खगोलशास्त्र, गणित, चिकित्सा और दर्शन में गहरी समझ देती है. गुरुकुल प्रणाली हमें हमारी जड़ों से जोड़ती है और एक सुव्यवस्थित जीवनशैली को बढ़ावा देती है.’शोध दर्शाते हैं कि संस्कृत शिक्षा से बच्चों की समग्र विकास में सहायता मिलती है. एक अध्ययन में पाया गया कि संस्कृत के अध्ययन से विद्यार्थियों की एकाग्रता और समस्या सुलझाने की क्षमता में सुधार होता है. आचार्य कंचन ने आगे कहा, ‘गुरुकुलों में पढ़ाई सिर्फ शैक्षणिक नहीं होती, यह आत्म-नियमन, एकजुटता और नैतिक मूल्यों का भी पाठ पढ़ाती है.’गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का महत्वसंस्कृत शिक्षा के महत्व को समझते हुए, सरकार ने आवासीय गुरुकुल प्रणाली को पुनर्जीवित करने की भी योजना बनाई है. गुरुकुलों में छात्रों को निःशुल्क आवास और भोजन की सुविधा देने के साथ, इन संस्थानों में योग्य आचार्यों की नियुक्ति की स्वायत्तता भी दी जाएगी. आचार्या ने बताया कि गुरुकुल की शिक्षा का उद्देश्य केवल पुस्तकीय ज्ञान नहीं है, यहां छात्रों को सह-अस्तित्व, आत्मानुशासन और एक-दूसरे के प्रति आदर का पाठ पढ़ाया जाता है. गुरुकुल प्रणाली में छात्र रहन-सहन, व्यवहार और समाज के प्रति जिम्मेदार नागरिक बनते हैं. यह जीवन जीने की कला सिखाता है और बच्चों में एक आदर्श व्यक्तित्व का निर्माण करता है.संस्कृत और वैदिक शिक्षा का महत्वसीएम योगी ने घोषणा की है कि राज्य में एक वैदिक विज्ञान केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जिससे इस ज्ञान को आधुनिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़ा जा सके. संस्कृत पढ़ने से न केवल छात्रों में भारतीय संस्कृति के प्रति गर्व की भावना पैदा होती है, बल्कि यह भाषा मानसिक विकास में भी सहायक होती है. संस्कृत का अध्ययन मस्तिष्क की स्मरण शक्ति, तर्कशक्ति और मानसिक स्थिरता को भी बढ़ाता है.
रतन गुप्ता उप संपादक