spot_img
HomeUncategorizedसरकारी स्कूलों को बंद करने के विरोध में आप का हल्ला बोल

सरकारी स्कूलों को बंद करने के विरोध में आप का हल्ला बोल

रतन गुप्ता उप संपादक —- आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को 27 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना के खिलाफ प्रदर्शन किया। कार्यकर्ताओं ने इसे गरीब और पिछड़े वर्ग के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया।… आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने शनिवार को हल्ला बोल कार्यक्रम किया। कलक्ट्रेट परिसर में जुटे कार्यकर्ताओं ने प्रदेश में 27 हजार सरकारी स्कूलों को बंद करने की योजना को लेकर आई खबरों को लेकर प्रदर्शन किया। कहा कि यह प्रदेश सरकार द्वारा 2020 तक बंद किए गए 26 हजार स्कूलों के बाद नया कदम है, जो सरकार की नीतियों का खुलासा करता है। कहा कि यह सीधे तौर पर गरीब, दलित व पिछड़े वर्ग के बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसा है। प्रदर्शन करने के बाद कार्यकर्ताओं ने प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजा। प्रदर्शन के दौरान कार्यकर्ताओं ने खूब नारेबाजी की। कहा कि प्रदेश सरकार जान-बूझकर सरकारी विद्यालयों के पास निजी विद्यालयों को मान्यता देने व उन्हें खोलने की नीति अपना रही है ताकि सरकारी विद्यालयों में छात्रों की संख्या कम हो और उन्हें बंद करने का रास्ता तैयार हो। कहा कि सरकारी विद्यालयों के पास निजी विद्यालयों की अनुमति देना ही उचित नहीं है क्योंकि नियमानुसार एक किमी की परिधि में ऐसे निजी विद्यालयों को मान्यता नहीं दी जा सकती है। कार्यकर्ताओं ने मांग की कि हर ब्लाक के ऐसे विद्यालयों को चिह्नित कर कार्रवाई हो, जो सरकारी विद्यालय के पास स्थित हैं और गलत तरीके से खोले गए हैं। जिलाध्यक्ष रामकुमार पटेल की अगुवाई में प्रदर्शन कर रहे पूर्व जिलाध्यक्ष पशुपति नाथ गुप्ता, मुकेश राज गुप्ता, जाहिद अली, रवि प्रजापति, विनोद मौर्या का कहना रहा कि 27 हजार सरकारी विद्यालयों को बंद करने का फैसला गलत है। इससे न केवल छात्रों की शिक्षा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा, बल्कि इससे योग्य शिक्षक बेरोजगार हो जाएंगे। सरकारी शिक्षा का ढांचा कमजोर होने के साथ सामाजिक असामनता और आर्थिक विषमताओं को बढ़ावा मिलेगा। कार्यकर्ताओं ने इस पर तत्काल रोल लगाने और सरकारी विद्यालयों को बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की मांग की है ताकि छात्रों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा मिले और शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रहे।

रतन गुप्ता उप संपादक

RELATED ARTICLES

Most Popular

error: Content is protected !!