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सिसवा में 150 साल पुराना सेंट एंड्रयूज चर्च में छह माह तक हुई थी चंगाई सभा

रतन गुप्ता उप संपादक ———- महराजगंज के सिसवा नगरपालिका के लोहिया नगर वार्ड में स्थित सेंट एंड्रयूज चर्च लगभग 150 साल पुराना है। इसकी स्थापना 1870 के दशक में ब्रिटिश काल में हुई थी। चर्च में सिस्टर रोज ने 1984 में चंगाई सभा की, जिससे हजारों…सेंट एंड्रयूज चर्च में छह माह तक हुई थी चंगाई सभामहराजगंज, के सिसवा नगरपालिका के लोहिया नगर वार्ड स्थित सेंट एंड्रयूज चर्च जिले का पहला और लगभग डेढ़ सौ साल पुराना चर्च है। इसकी स्थापना ब्रिटिश काल में 1870 के दशक में मिशनरी के तहत की गई थी। वर्तमान में यह चर्च सेंट एंड्रयूज चर्च गोरखपुर के अंतर्गत आता है। इस चर्च में वर्ष 1984 में बंगाल से चलकर आई सिस्टर रोज़ ने अनवरत 6 माह तक चंगाई सभा की थी।नगर के कोलाहल से दूर सुकून भरे माहौल में बने इस चर्च को देखकर लोग रोमांचित हो उठते हैं। चर्च निर्माण के लगभग दस वर्ष बाद यहां पादरी के रहने के लिए आवास की स्थापना भी करा दी गई थी। मसीह समाज की प्रमुख ज्ञाता माने जाने वाली वेस्ट बंगाल की सिस्टर रोज़ भी इस चर्च में अपनी सेवाएं देकर गरीब मरीजों को धन्य कर चुकी हैं। वर्तमान में बिशप यूहन्ना आदम के अनुसार वर्ष 1984 में सिस्टर रोज़ वेस्ट बंगाल से चलकर इस चर्च में आई थीं। उस बीच उन्होंने कई दिनों तक अपनी प्रार्थना की बदौलत काफी गरीबों के असाध्य रोगों का इलाज की थीं। साथ ही काफी संख्या में श्रद्धालु उनके प्रवचन से ज्ञानार्जन कर चुके हैं। इसके बाद वे पडरौना, बरहज, चौरीचौरा, देवरिया, गोरखपुर आदि चर्चों में जाकर अपनी सेवाएं दीं थी। उसी बीच सिसवा के इस चर्च में लोगों के बुलावे पर वे दोबारा आकर लगभग छह माह तक प्रतिदिन चंगाई सभा की थीं। जिसमें उनकी प्रवचन, प्रार्थना व इलाज से हज़ारों की संख्या में लोग लाभांवित हुए थे।तीन दर्जन पादरी दे चुके हैं सेवाइस चर्च में अब तक लगभग तीन दर्जन से ऊपर की संख्या में पादरी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। बिशप यूहन्ना आदम 2004 में इस चर्च में आए थे। उनको बिशप की उपाधि मिल चुकी है। उनके अनुसार आज़ादी के कुछ सालों तक इस चर्च में लोगों का आना जाना बहुत कम था। उसके बाद 70 के दशक में चर्च फिर से अस्तित्व में आया। इसके बाद से यहां श्रद्धालुओं की संख्या धीरे-धीरे बढ़ने लगी।प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है त्योहारइस चर्च में प्रत्येक रविवार की प्रार्थना आराधना के साथ ईस्टर, क्रिसमस, गुड फ्राइडे आदि त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। लेंन डे प्रेयर के दौरान 40 दिनों तक श्रद्धालु उपवास रखते हैं। इस बीच अंतिम का पूरा सप्ताह दुःख भोग सप्ताह के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद पाम संडे के दिन बिशप द्वारा प्रभु यीशु की महिमा का गुणगान किया जाता है।तीन सौ श्रद्धालु कर सकते हैं प्रार्थनासेंट एंड्रयूज चर्च में लगभग तीन सौ की संख्या में श्रद्धालुओं के बैठने की क्षमता है। चर्च की खूबसूरत पवित्र बेदी, पवित्र बेपटिसमल फोंट है। इन दिनों क्रिसमस के लिए चर्च को सजाया जा चुका है। कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। मसीही समुदाय के लोग क्रिसमस के लिए उत्साहित हैं

रतन गुप्ता उप संपादक

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