सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश।
जुबली मिशन मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, त्रिशूर, केरल में पैथोलॉजी की सहायक प्रोफेसर डॉ. रोहिणी सेबेस्टियन ने हाल ही में वैंकूवर, कनाडा में आयोजित प्रतिष्ठित एसोसिएशन फॉर मॉलिक्यूलर पैथोलॉजी (एएमपी) वार्षिक सम्मेलन में लिवर कैंसर में जीन उत्परिवर्तन पर एक पोस्टर प्रस्तुत किया है। वह इस कान्फ्रेन्स में भारत की एक मात्र प्रतिनिधि रहीं जिन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षु यात्रा पुरस्कार से नवाजा गया।
डॉ. रोहिणी के पिता डा.सेबेटियन गिरिदीपम एमबीए कॉलेज के प्राचार्य हैं। उन्होंने वर्ष 1977 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से एम.कॉम की पढ़ाई प्रथम श्रेणी के साथ दूसरी रैंक से सम्मानित किया गया। वह वर्तमान में वह गोरखपुर में एम.कॉम क्लब के सदस्य है और अब तक 3 बार वार्षिक सभाओं का आयोजन कर चुके है। वह गैलेक्सी के उपाध्यक्ष हैं। वह लगभग हर साल वह यहां परिवार के साथ 3 सप्ताह बिताते हैं।
डॉ. रोहिणी ने प्रसिद्ध क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर, तमिलनाडु में आणविक विकृति विज्ञान में अपनी पोस्ट डॉक्टरल फ़ेलोशिप पूरी की। आणविक विकृति विज्ञान कैंसर की आनुवंशिक और आणविक विशेषताओं का विश्लेषण करके, व्यक्तिगत उपचार का मार्गदर्शन करके और अधिक सटीक और अनुरूप कैंसर देखभाल सुनिश्चित करके सटीक ऑन्कोलॉजी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वह इस उभरते क्षेत्र में प्रशिक्षित होने वाली केरल की कुछ रोगविज्ञानियों में से एक हैं। सीएमसी में अपने प्रशिक्षण के दौरान, उन्होंने फरवरी 2024 में एम्स, नई दिल्ली में आयोजित मॉलिक्यूलर पैथोलॉजी कांफ्रेंस में सर्वश्रेष्ठ पोस्टर का पुरस्कार जीता।
केरल के कोट्टायम जिले की मूल निवासी डॉ. रोहिणी ने सरकारी मेडिकल कॉलेज, त्रिशूर, केरल से डीएनबी की डिग्री पूर्ण कर चुकीं हैं।
डॉ. रोहिणी की मां, डॉ. मैरीकुट्टी सेबेस्टियन, पूर्व विभागाध्यक्ष, भौतिकी विभाग, बीसीएम कॉलेज, कोट्टायम को 2 दशक पहले नैनो भौतिकी में पीएचडी से सम्मानित किया गया था। जबकि डा. रोहिणी के
पति डॉ. जेक सेबेस्टियन, अमला मेडिकल कॉलेज, त्रिशूर के रेडियोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर हैं।