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नेपाल के पूर्व नरेश बोले- हमारे बलिदान को कमजोरी न समझा जाए जिन लोगों ने व्यवस्था बदली, वे स्थिति नहीं बदल सके

रतन गुप्ता उप संपादक ——- नेपाल के पुर्व नरेश ज्ञानेन्द शाह का दावा है कि उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपना पद और सुख-सुविधाएं त्याग दीं। शाह ने पार्टियों को चेतावनी दी कि वे गद्दी छोड़ने के मुद्दे को कमजोरी न समझें। उन्होंने कहा कि उन्होंने नेपाल की प्रगति के लिए त्याग किया है और जनता की भलाई के लिए अन्य चीजों का त्याग करने को तैयार हैं।पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र शाह ने सरकार पर नागरिकों की स्थिति बदलने में विफल रहने का आरोप लगाया है।लोकतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बधाई संदेश भेजते हुए शाह ने कहा कि यह दुखद है कि जो लोग कहते थे कि व्यवस्था बदल गई है, वे स्थिति को बेहतर नहीं बना सके। उन्होंने नागरिकों से राष्ट्र की रक्षा और राष्ट्रीय एकता बनाए रखने में उनका समर्थन करने का आह्वान किया।शाह का दावा है कि उन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपना पद और सुख-सुविधाएं त्याग दीं। शाह ने पार्टियों को चेतावनी दी कि वे गद्दी छोड़ने के मुद्दे को कमजोरी न समझें। उन्होंने कहा कि उन्होंने नेपाल की प्रगति के लिए त्याग किया है और जनता की भलाई के लिए अन्य चीजों का त्याग करने को तैयार हैं।उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि जनता और राजा ने मिलकर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम किया है। शाह ने कहा कि आज की शासन प्रणाली में लोकतंत्र सर्वोच्च शासन प्रणाली होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर किसी की पहचान और अस्तित्व होना चाहिए।”पक्ष और विपक्ष का अहंकार, स्वार्थ और हठ लोकतंत्र को गतिशील नहीं बना सकता।”शाह ने एक वीडियो बयान में कहा, “निषेधात्मक दृष्टिकोण अपनाने वाली राजनीति लोकतंत्र को मजबूत नहीं करेगी।” “पक्ष और विपक्ष का अहंकार, स्वार्थ और हठ लोकतंत्र को गतिशील नहीं बना सकता।”पूर्व राजा शाह का मानना है कि देश का इतिहास मिटाया जा रहा है। शाह ने कहा कि नेपालियों का पसीना देश में नहीं बल्कि विदेश में बहता है। शाह ने कहा, “एक नेपाली हजारों नहीं बल्कि लाखों के कर्ज के बोझ के साथ पैदा होता है।” शाह समझते हैं कि छात्रों और शिक्षकों की संख्या घट रही है तथा व्यवसाय और कारोबार लगातार ध्वस्त हो रहे हैं।

रतन गुप्ता उप संपादक

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