spot_img
HomeUncategorizedपिता चाहते थे कि मनमोहन सिंह डॉक्टर बनें, लेकिन इकोनॉमिक्स ने उन्हें...

पिता चाहते थे कि मनमोहन सिंह डॉक्टर बनें, लेकिन इकोनॉमिक्स ने उन्हें अपनी ओर खींच लिया

रतन गुप्ता उप संपादक ———–आर्थिक सुधारों के जनक और दस वर्ष तक देश की कमान संभालने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया. उन्होंने दिल्ली में एम्स में अंतीम सांस लिया ।मनमोहन सिंह के सम्मान में सात दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है.अगर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पिता की सुनते तो आज वह डॉक्टर होते, उन्होंने ऐसा किया भी. पिता के कहने पर उन्होंने प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला ले लिया, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. मेडिकल और साइंस की पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था और इसीलिए उन्होंने ये रास्त छोड़ दिया. इसका जिक्र एक किताब में है, जिसे लिखा है डॉ. मनमोहन सिंह की बेटी दमन सिंह ने.मनमोहन सिंह ने एक समय प्री-मेडिकल कोर्स में दाखिला लिया था क्योंकि उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, लेकिन कुछ महीनों के बाद ही उन्होंने इस विषय में दिलचस्पी खो दी और मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी. पूर्व प्रधानमंत्री की बेटी दमन सिंह ने उन पर लिखी गई एक पुस्तक में इस बात का जिक्र किया है.पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह का बृहस्पतिवार को निधन हो गया. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)-दिल्ली ने बताया कि 92 वर्षीय सिंह को आज शाम ‘अचानक बेहोश’ होने के बाद गंभीर हालत में आपातकालीन विभाग लाया गया था.मनमोहन सिंह की जिंदगी में 26 का अजब संयोग, जन्‍म से मृत्‍यु तक नहीं छूटा साथपूर्व PM मनमोहन सिंह का निधन, हल्द्वानी के इस इंटर कॉलेज से की थी पढ़ाईमुझे भरोसा है कि… जब मनमोहन सिंह ने अपनी आखिरी PC में मुस्कुराते हुए कहा थाजब मनमोहन को JNU स्टू़डेंट्स ने दिखाए काले झंडे, तब किससे कहा- सर नरमी बरतिएमनमोहन सिंह की जिंदगी में 26 का अजब संयोग, जन्‍म से मृत्‍यु तक नहीं छूटा साथपूर्व PM मनमोहन सिंह का निधन, हल्द्वानी के इस इंटर कॉलेज से की थी पढ़ाईदमन सिंह ने 2014 में प्रकाशित अपनी पुस्तक ‘स्ट्रिक्टली पर्सनल: मनमोहन एंड गुरशरण’ में यह भी लिखा कि अर्थशास्त्र एक ऐसा विषय है जो उन्हें आकर्षित करता था. उन्होंने यह भी लिखा कि उनके पिता में हास्य की अच्छी समझ थी. अप्रैल 1948 में मनमोहन सिंह ने अमृतसर के खालसा कॉलेज में दाखिला लिया था.दमन ने अपनी पुस्तक में इसका उल्लेख करते हुए लिखा, “चूंकि, उनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बनें, इसलिए उन्होंने (मनमोहन सिंह) दो वर्षीय एफएससी प्रोग्राम में दाखिला ले लिया, जिससे उन्हें मेडिकल में आगे की पढ़ाई करने का मौका मिलता. कुछ ही महीनों बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. डॉक्टर बनने में उनकी रुचि खत्म हो गई थी. असल में, विज्ञान पढ़ने में भी उनकी रुचि खत्म हो गई थी.”राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर बृहस्पतिवार को दुख जताया तथा देश की आर्थिक प्रगति में उनके योगदान को याद किया.मुर्मू ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी उन चुनिंदा राजनेताओं में से एक थे, जिन्होंने शिक्षा और प्रशासन की दुनिया में भी समान सहजता से काम किया. सार्वजनिक पदों पर अपनी विभिन्न भूमिकाओं में उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया.” उन्होंने कहा कि सिंह को राष्ट्र के प्रति उनकी सेवा, उनके बेदाग राजनीतिक जीवन और उनकी अत्यंत विनम्रता के लिए हमेशा याद किया जाएगा.उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने भारत के आर्थिक परिदृश्य को पूरी तरह से बदल दिया. उपराष्ट्रपति सचिवालय ने धनखड़ के हवाले से कहा, “मनमोहन सिंह ने साहसपूर्वक हमारे देश को महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर में संभाला और विकास तथा समृद्धि के नए रास्ते खोले.”प्रधानमंत्री मोदी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “भारत अपने सबसे प्रतिष्ठित नेताओं में से एक डॉ. मनमोहन सिंह जी के निधन पर शोकाकुल है. साधारण परिवार से उठकर वह एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री बने. उन्होंने वित्त मंत्री समेत विभिन्न पदों पर कार्य किया और वर्षों तक हमारी आर्थिक नीति पर एक गहरी छाप छोड़ी. संसद में उनका हस्तक्षेप भी व्यावहारिक था.

रतन गुप्ता उप संपादक 27/12/2024

RELATED ARTICLES

Most Popular

error: Content is protected !!