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भारत को अस्थिर करने में लगी हैं कुछ ताकतें, उन्हें पहचानना होगा – पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर गुजरात में ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने ‘अर्बन नक्सल’ के खिलाफ अपनी चिंता व्यक्त की। पीएम मोदी ने कहा कि देश के अंदर और बाहर कुछ शक्तियाँ भारत को अस्थिर करने के प्रयास में लगी हुई हैं।उन्होंने भाजपा सरकार की राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि सरकार ने ‘एक राष्ट्र, एक कर’ प्रणाली लागू की है और अनुच्छेद 370 को समाप्त कर जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान खत्म किया है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि देश को अर्बन नक्सल के खतरे को पहचानना होगा। प्रधानमंत्री ने पिछले सरकारों की भेदभावपूर्ण नीतियों को देश की एकता को कमजोर करने का जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने बताया कि पिछले 10 वर्षों में लागू किए गए नए शासन मॉडल ने भेदभाव को समाप्त करने का प्रयास किया है। उनका दृष्टिकोण ‘सबका साथ, सबका विकास’ है, जिससे लोगों के बीच असंतोष कम हुआ है और विकास योजनाओं में विश्वास बढ़ा है।मोदी ने ‘एक राष्ट्र, एक पहचान’ के संदर्भ में आधार के महत्व को वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय बताया। उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक कर’ प्रणाली को जीएसटी के माध्यम से लागू करने, ‘एक राष्ट्र, एक स्वास्थ्य बीमा’ योजना को आयुष्मान भारत के जरिए लाने, और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में आगे बढ़ने की बात की। इसके अलावा, उन्होंने ‘एक राष्ट्र, एक नागरिक संहिता’ की दिशा में भी प्रगति का उल्लेख किया।प्रधानमंत्री ने गर्व के साथ कहा कि आजादी के 70 वर्षों बाद ‘एक राष्ट्र, एक संविधान’ का संकल्प पूरा हुआ है, जो कि सरदार पटेल को उनकी सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है। उन्होंने यह भी कहा कि 70 सालों तक बाबा साहब अंबेडकर का संविधान पूरे देश में सही से लागू नहीं हो सका। मोदी ने कहा कि संविधान के नाम का जप करने वालों ने इसे अपमानित किया, जिसका मुख्य कारण जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 का प्रावधान था। अब इसे स्थायी रूप से समाप्त कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि इस विधानसभा चुनाव में पहली बार भेदभाव रहित मतदान हुआ और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री ने भारतीय संविधान की शपथ ली, जो संविधान निर्माताओं के लिए संतोषजनक स्थिति है। यह उन सभी को विनम्र श्रद्धांजलि है जो इस संविधान के निर्माण में शामिल थे

रतन गुप्ता उप संपादक

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