‘‘गर्भनिरोधन के साधन का चुनाव दंपति के पसंद का विषय’’
न्यू कंट्रासेप्टिव के प्रति जिले में बढ़ रहा है दंपति का रुझान
गोरखपुर।छोटा परिवार खुशहाली का आधार है। परिवार नियोजन हमारे शास्त्रों का भी अंग रहा है। रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने भी दो बच्चों के महत्व का वर्णन किया है। इसे अपनाने के लिए पसंद के साधन का चुनाव दंपति का अधिकार है। यह बातें मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ आशुतोष कुमार दूबे ने कहीं। वह विश्व गर्भनिरोधन दिवस पर जिला महिला अस्पताल में गुरूवार को हुए जनजागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार ने की। वक्ताओं ने जिले में न्यू कंट्रासेप्टिव अंतरा और छाया के प्रति बढ़ते रूझान के बारे में भी चर्चा की। पीएसआई इंडिया संस्था के सहयोग से हुए इस कार्यक्रम में अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी परिवार कल्याण डॉ एके चौधरी भी उपस्थित रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि जो दंपति कोई साधन नहीं अपना रहे हैं उन्हें भी प्राकृतिक विधि की जानकारी अवश्य दी जाए। मासिक धर्म आने के सात दिन पहले और सात दिन बाद का समय प्राकृतिक गर्भनिरोधन की दृष्टी से महत्वपूर्ण होता है और इस दौरान प्राकृतिक विधियों से भी अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि गर्भनिरोधन के लिए बॉस्केट ऑफ च्वाइस तक सभी की पहुंच बनी रहे। विभाग समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है। यही कारण है कि त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और साप्ताहिक गोली छाया की समुदाय के बीच मांग बढ़ी है।
डॉ दूबे ने बताया कि जिले में वर्ष 2017-18 तक सिर्फ जिला स्तर पर यह दोनों कंट्रासेप्टिव मिल पाती थीं। उस समय 603 महिलाओं ने त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन की सुविधा प्राप्त की थी। वहीं 746 लाभार्थी महिलाओं ने साप्ताहिक गोली छाया का इस्तेमाल किया था। सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर सेवा सृदृढीकरण, परामर्शदाताओं की संख्या में वृद्धि, साधनों के प्रति निरंतर जागरूकता और आशा कार्यकर्ता के प्रयासों से वर्ष 2023-24 तक त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन के लाभार्थियों की संख्या 45426 और साप्ताहिक गोली छाया के लाभार्थियों की संख्या करीब 1.25 लाख तक पहुंच चुकी है। इस वर्ष भी अगस्त माह तक 25867 महिलाएं त्रैमासिक अंतरा इंजेक्शन और 69980 महिलाएं साप्ताहिक गोली छाया की सेवाएं ले चुकी हैं। यह साधन अब सभी स्वास्थ्य इकाइयों पर उपलब्ध हैं। इन सेवाओं को मजबूती प्रदान करने में सहयोगी संस्था उत्तर प्रदेश टेक्निकल सपोर्ट यूनिट (यूपीटीएसयू) और शहरी क्षेत्र में पीएसआई इंडिया मदद कर रही हैं।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि गर्भनिरोधन के अस्थायी साधनों में कंडोम, माला एन, आईयूसीडी, पीपीआईयूसीडी और पीएआयूसीडी की समुदाय के बीच स्वास्थ्य कार्यकर्ता द्वारा प्रेरित कर ग्राह्यता बढ़ाई जा रही है। स्थायी साधन के तौर पर पुरुष नसबंदी और महिला नसबंदी के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जाता है।
जिला महिला अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ जय कुमार ने कहा कि अस्पताल में एक कक्ष परिवार नियोजन के परामर्श के लिए बनाया गया है। वहां प्रत्येक सुविधा सरकारी प्रावधानों के अनुसार प्राप्त कर सकते हैं। कार्यक्रम का संचालन क्वालिटी मैनेजर डॉ कमलेश ने किया। परामर्शदाता ज्योति और पीएसआई इंडिया संस्था की प्रतिनिधि प्रियंका सिंह ने भी महिलाओं को जागरूक किया।
बच्चों में अंतराल जरूरी
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने इस बात पर विशेष जोर दिया कि शादी हमेशा लड़की के बालिग होने के बाद ही की जानी चाहिए। शादी के बाद पहला बच्चा कम से कम दो साल बाद प्लान किया जाना जरूरी है। पहले और दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतर आवश्यक है।